Monday, September 2, 2019

टकरा गईं आँखें

"टकरा गईं आँखें"

हुश्न की दीवार से वो तो टकरा गई
चाँदनी चाँद से भी है शर्मा गई
मज़हबी लोग भी मोहब्बत को
करने लगे
तेरी मोहब्बत ही मज़हब पर
असर कर गई
तेरी चाहत ने उसपर
कयामत है ढाई
आंखों से आंखें
लड़कर भी हैं मुस्कुराईं
चाह में दर बदर
तेरा इस कदर मिलना
तू शाम थी या सुबह
मेरे समझ में न आई

शिवम अन्तापुरिया

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