Saturday, June 27, 2020

upar har baba ka parichay

"जीशुक बाबा का जीवन परिचय"

उन्नीसवीं सदी में यदुवंशी क्षत्रिय राजवंश कन्नौज राजघराने से चले श्री माखन सिंह के पुत्र श्री जीशुक बाबा जो उत्तर प्रदेश के  ग्राम अन्तापुर पोस्ट हथूमा ब्लाक सन्दलपुर तहसील सिकन्द्रा जिला कानपुर देहात के जंगल के पास रमणीक स्थान है वही पर इनकी समाधी स्थल है,इन्होंने बंगाल में अपनी शिक्षा पूर्ण की जिसके कारण वो कई कलाओं में निपुण थे उनके समय में उनका नाम गंगा जमुना के बीच में प्रसिद्ध था और आज भी है पूरे प्रदेश के लोग उनके दर्शन करने आते हैं श्रद्धालुओं में उनके प्रति आस्था की मिशाल अब भी कायम है जो भी भक्त सच्चे मन से वहाँ समाधिस्थल पर आकर अपनी मन्नत माँगता है वो अवश्य पूरी होती है। बाबा के वंशावली में 
श्री जीशुक बाबा के पुत्र प्रेम सिंह,धर्मू सिंह के पुत्र दुलारे सिंह, हरी लाल सिंह के पाँच पुत्र व 
दुलारे सिंह के पाँच पुत्र हैं जिनमें रामप्रसाद सिंह त्यागी जी महाराज का कहना की जो भी इस स्थान आकर माथा टेकर जो भी फ़ल की कामना करता है उसे उस फ़ल की प्राप्ति अवश्य होती है।
बाबा के स्थान को "ऊपरहार बाबा" के नाम से भी जाना जाता है सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भी "जय ऊपरहार बाबा" है बाबा के स्थान पर तीन समाधियाँ बनी हुईं हैं जिनमें जो बड़ी समाधि के सामने है वो उनके पुत्र की है व उनके बराबर पर बनी समाधि उनके सहपाठी कटियार बाबा की है पास में एक कुँआ भी है समाधि स्थल पर बरगद, पाखर के पेड़ों की घनघोर छाया लोगों का मन मोह लेती है बंगाल से विद्या सीखने के कारण इन्हें बंगाली बाबा भी कहा जाता है।
इनके चमत्कार के उदाहरण बताते हुए लोग नहीं थकते गाँव के लगभग सभी लड़कों का पहला मुंडन संस्कार बाबा के यहाँ ही होता है ....

Thursday, June 25, 2020

"देखना होगा"

"देखना होगा" 

बची है जिंदगी जो भी 
 उसे भी काटना होगा 
कोई एक रोज़ का होगा 
 कोई दो रोज़ का होगा 

नफ़ा नुकसान दुनियाँ में 
 हजारों लाखों के होते 
मगर सबसे बड़ा नुकसान 
 तो ये जान का होगा 

लिखा कर माथे पे आए 
  उसे तो देखना होगा 
लगीं जंज़ीर हाथों में 
उन्हें भी तोड़ना होगा 

मुशाफ़िर थे हम राहों के 
मुशाफ़िर बन के आए हैं 
किसी के साथ रहकर के 
ये मंज़िल काटना होगा 

     रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया
   उत्तर प्रदेश

Monday, June 8, 2020

काका साहेब चमन कालेज से

झुनझुनवाला बिजनेस स्कूल अयोध्या से

श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय पोखरी उत्तराखण्ड से मिला

हंसराज दिल्ली विश्व विद्यालय से मिला

विश्व हिन्दी संस्थान कनाडा से मिला

बेटियाँ क्यों बोझ


सदा क्यों बेटियों को लोग 
बनाए बोझ रहते हैं
 जबकि बेटियों के बिन 
सदा घर शून्य रहते हैं 

शिवम अन्तापुरिया

आप सभी का प्यार यूँ ही मिलता रहे 
साथ-साथ आप सब भी अच्छे दौर से गुजरते रहे 

शिवम अन्तापुरिया

पता है क्या अभी तुमसे मोहब्बत मैं नहीं करता 
जरा सी याद में तेरी मैं खुद से अब नहीं लड़ता
तेरे चंचल ये नैनों की छठा जब से दिखाई दी 
हाँ अक्सर याद से तेरी मेरा अब दिल नहीं डरता

सब कुछ बयाँ बेबयाँ हो गया
 संग उसके भी कुछ अब नया हो गया 
         ~ शिवम अन्तापुरिया

हर बात अलग ही रहती है 
 उसकी हर बातें सुर्खियों में रहती हैं 
~ शिवम अन्तापुरिया

पाकिस्तान मैत्री रखो

मैत्रीय सम्बन्ध रखो 
पाकिस्तान शांतिप्रिय बनो 

फ़ौज अपनी हटाओ तुम 
फ़ौज अपनी हटाएँ हम 
हाथ दोनों मिलाकरके 
दुनियाँ को दिखाए हम 

शिवम अन्तापुरिया

पाकिस्तान ले लेगा

तेरी हसरत रही थोड़ी ओ थोड़ी और दे देना 
रहे गर जान जब तक ये हमें पहचान दे देना 
*पाक ए दिल में बसता है शिवम को जान लो अब तुम* 
*किसी भी बात को लेकर ये पाकिस्तान ले लेगा*





मैत्रीय सम्बन्ध रखो 
पाकिस्तान शांतिप्रिय बनो 

फ़ौज अपनी हटाओ तुम 
फ़ौज अपनी हटाएँ हम 
हाथ दोनों मिलाकरके 
दुनियाँ को दिखाए हम 


सुनाएँ शांति वार्ता को 
सुनाएँ शान्त गीतों में 

 सुनना यूँ जरूरी है 
सुनाना भी जरूरी है 

किसी के जख्मों से जखम 
  कभी हैं भर नहीं जाते 
अधर में छोड़ कर उसको 
   कभी हैं हम नहीं जाते 

हाथ अब तुम बढा़ओ गर तो 
मैत्रीयता को निभाते हैं हम 

ये छुटपुट बातें तो घर में 
 सदा होती ही रहतीं हैं 

जरा सा अब भुलाओ तुम 
 जरा सा अब भुलाएँ हम 

किसी की भूमि ही ये है 
 किसी की मातृभूमि है 
सोचना एक ही है अब 
क्यों करते गोदें सूनी हैं 

ये सारा आसमाँ तेरा 
ये सारी मिट्टी भी तेरी 

एक कण ले न जाओगे 
भले कह डालो तुम सारा 
    ये सब विश्व है मेरा 


~ शिवम अन्तापुरिया 
    कानपुर उत्तर प्रदेश