सदा क्यों बेटियों को लोग
बनाए बोझ रहते हैं
जबकि बेटियों के बिन
सदा घर शून्य रहते हैं
शिवम अन्तापुरिया
साथ-साथ आप सब भी अच्छे दौर से गुजरते रहे
शिवम अन्तापुरिया
पता है क्या अभी तुमसे मोहब्बत मैं नहीं करता
जरा सी याद में तेरी मैं खुद से अब नहीं लड़ता
तेरे चंचल ये नैनों की छठा जब से दिखाई दी
हाँ अक्सर याद से तेरी मेरा अब दिल नहीं डरता
सब कुछ बयाँ बेबयाँ हो गया
संग उसके भी कुछ अब नया हो गया
~ शिवम अन्तापुरिया
हर बात अलग ही रहती है
उसकी हर बातें सुर्खियों में रहती हैं
~ शिवम अन्तापुरिया
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