Wednesday, July 27, 2022

स्त्री पुरुष के बीच असमानता की खाई अभी भी है नामक लेख दिल्ली से प्रकाशित रेड हैंडेड अखबार में

महान कैसे मान लूँ

_जिनके ह्रदय में अब वासना हो काम की_ 
 _उनके दिखावे को प्रेम कैसे नाम दूँ_ 
 _जिनके दिखावे में हो अश्लील चित्र हार_ 
 _उनके साहस को महान कैसे नाम दूँ_ 
 _राष्ट्र के बचाव में जिनसे उठे न ढाल_ 
 _उनके हाथ में तलवार कैसे मान लूँ_ 
 _चूमते रहे जो सदा प्रेयसी के मस्तकों को_ 
 _आज उन्हें युद्ध में महान कैसे मान लूँ_ 

    _शिवम अन्तापुरिया_

प्रेम की भाषा नहीं

_मान लो आँखों में मेरी है प्रेम की भाषा नहीं_ 
 _है मगर दिल में जो मेरे उस देश की परिभाषा नहीं_ 
 _तुम-तुम -तुम सब प्रेम पर मरकर प्रेम को परिभाषित करो_ 
 _है मगर मेरी गुलामी की यहाँ आदत नहीं_ 

 _शिवम यादव "अन्तापुरिया"_

कौन ईमानदार है

किसान ऋण न चुका पाए तो आत्महत्या करता है। बल्कि उद्योगपति विदेश भाग जाता है इसमें ईमानदार कौन हुआ...

ऐसे गरीबी दूर की बात है

मात्र रोटी,कपड़ा और मकान मिलने से ही गरीबी दूर नहीं हो सकती है 
जब तक कि व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उस पर ही नहीं होगी 

- शिवम अन्तापुरिया

नैतिकता

नैतिकता के कदम उठाना, 
इस जग में सबसे भारी है।
उठ गए कदम नैतिकता पर तो, 
समझो परिवर्तन जारी है।।

- शिवम यादव "अन्तापुरिया"

दूसरों से लड़ने पहले

_दूसरों से लड़ने से पहले अगर खुद से लड़ना सीख ले मानव तो वो जल्द ही इंसान की श्रेणी में आ जाएगा ।_ 

 _अन्तापुरिया_

"गरीबी शब्द"

गरीबी शब्द से भी बड़ा गरीब शब्द होता भूखमरी 

- शिवम अन्तापुरिया

लक्ष्य कैसा हो

जो व्यक्ति अपने साहस,व्यक्तित्व और अपने लक्ष्य का प्रकीर्णन नहीं होने देता है।
वही व्यक्ति आगे चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।।

 _शिवम यादव "अन्तापुरिया"_


क्या है अराजकता

जिस बिंदु पर आकर कानून व्यवस्था खत्म हो जाती है।
उसी बिंदु से अराजकता शुरू हो जाती है।।

~ शिवम यादव "अन्तापुरिया"

फ़िर भी पता नहीं कहाँ से up cm योगी जी कहते हैं कि 
जनसंख्या की वृद्धि से अराजकता जन्म ले लेगी

अपनों ने

यदि अपनों ने अपनों से लड़कर अपमान नहीं पाला होता 
तो भारत में अंग्रेजों को शासन करना आसान नहीं होता 
चक्र-कुचक्रों से न विघटित होकर यदि युद्ध लड़े होते हमने 
तो गुलाम नहीं होता भारत इतिहास भले छोटा होता 

शिवम यादव अन्तापुरिया

पुरुष स्त्री प्रेम

पुरुष प्रेम स्त्री पर बरसाते हैं जब खुद खुशियों में डूबे हों 
"स्त्री प्रेम सदा बरसाती रहती सहज-सरल बन"
जब पुरुष कष्ट से घिरे खड़े हों 

~ @OshayarShivam