Friday, January 31, 2020

कुछ खोया है

"कुछ खोया है"
  
बहुत कुछ खोया बहुत पाया है 
जिन्दगी ने बहुत आजमाया है 
जिन्दगी कुछ पल छोड़ गई ऐसे 
जिनके साथ दिल मुस्कुराया है 

चलते चलते मैं जब थकने लगा 
तब जाकर कुछ सुकून पाया है 
अपनापन भी कुछ साथ दे मेरा 
ये जमाना है जमाने को बताना है 

हर लम्हाँ वो गुज़ार कर चले गए 
मेरा दिल भी उज़ाडकर चले गए 
वो चंद लम्हे इतने बड़े लगते हैं 
हर मोड़ पर यादें देकर चले गए 

~ शिवम अन्तापुरिया 
कानपुर उत्तर प्रदेश

Wednesday, January 29, 2020

शायरी

ये साँसें मुशलसल थमती जा रहीं हैं
रोज़ प्यार में आदतें बदलती जा रही हैं 

शिवम अन्तापुरिया

कई बार हम मन्ज़िल के पास से होकर गुज़र जाते हैं 
जैसे किसी के साथ चलकर भी हम पिछड़ जाते हैं 

शिवम अन्तापुरिया

गलियाँ,चौबारे,नाते, रिश्ते सबकुछ बन गए हैं मेरे 
तुम से नहीं किसी और से तो हो गए हैं मेरे 

शिवम अन्तापुरिया

लोगों की नज़रों में ज़ितने ख़राब हैं हम 
लेकिन उतने ख़राब नहीं हैं हम 

शिवम अन्तापुरिया

जंग से जंग को जीत हम जाएंगे 
तेरी चाहत के दीपक भी जल जाएंगे 
ये समाँ आसमाँ मेरा क्या कर सकें
प्यार से हम तेरे जब निखर जाएंगे


आज एक बात का होगा पर्दाफ़ास 
जिसका न कर सकोगे तुम आभास 

शिवम अन्तापुरिया

इन सब बातों को कहना सुनना पड़ता है 
ये जीवन है संघर्षी तो बनना पड़ता है 

दर्द अपने छुपा कर के हम चल दिए 
     आसमाँ को झुकाकरके हम चल दिए 
    साज-सज्जा तुम्हारी न भायी मुझे 
दिल से दिल को मिलाकरके हम चल दिए 

इश्क विश्क से हम कहाँ वाकिफ़ थे 
इश्क पर एक भी पन्ना नहीं लिखा 
क्योंकि मेरे तो हाथ नाज़ुक थे 

ओ बादल क्यों बरस रहा है 
मेरे समझ न आए 
तेरी मंशा है क्या अब 
कोई समझ न पाए 

लोगों की नज़रों में ज़ितने ख़राब हैं हम 
लेकिन उतने ख़राब नहीं हैं हम 

गलियाँ,चौबारे,नाते, रिश्ते सबकुछ बन गए हैं मेरे 
तुम से नहीं किसी और से तो हो गए हैं मेरे 

कई बार हम मन्ज़िल के पास से होकर गुज़र जाते हैं 
जैसे किसी के साथ चलकर भी हम पिछड़ जाते हैं 


ये साँसें मुशलसल थमती जा रहीं हैं
रोज़ प्यार में आदतें बदलती जा रही हैं 

शिवम अन्तापुरिया
कदम कदम पर जिंदगी 
इन्तहान लेती है 
कभी कभी जिंदगी ही 
जान लेती है 

शिवम अन्तापुरिया

उम्र सैकड़ों वर्ष तो क्या फ़ायदा जिसमें नाम कुछ न कमाए 
नाम जितनी ही कम उम्र में ज्यादा कर सके उतना कमाएलिखीं जिंदगी की अनेक कहानियाँ 
शामिल हैं उसमें कई
 दुश्वारियाँ

हम प्यार का सौदा नहीं किया करते हैं 
जरूरत पड़ने पर उसे भुला दिया करते हैं 

जंग से जंग को जीत हम जाएंगे 
तेरी चाहत के दीपक भी जल जाएंगे 
ये समाँ आसमाँ मेरा क्या कर सकें
प्यार से हम तेरे जब निखर जाएंगे

इस कदर हम जिंदगी के आधीन हो गए 
लोग मुस्कुराते रहे और हम बेख़बर हो गए 


शिवम अन्तापुरिया
जो अपना अपना अपना कहा करते हैं 
उन्हें नहीं पता शायद 
ये सब भगवान किया करते हैं

पानी पत्थरों पर बरस कर घायल नहीं होता 
शिवम मोहब्बत करता है लेकिन पागल नहीं होता 

शिवम अन्तापुरिया

अब हर लिबास में अच्छे लगने लगे 
कफ़न में तो सबसे अच्छे लगने लगे 
अब शायद ऐसे ही हो गए हैं हम 
तभी लोग कंधों पर लेकर चलने लगे 

बहुत हुए आदेश मैं करता हूँ फ़रमान एक जारी 
आवाम की ताक़त के आगे अब राजनीति भी हारी 
शिवम अन्तापुरिया

मत भूल यहाँ क्या हाल हुआ 
जख्मों से भरा अब देश हुआ

भाई जिस दिन हम आए प्रयागराज़ उसी दिन सारे बन्ध टूट जाएंगे 
आपको प्यार की राह पर अकेला खड़ा कर जाएंगे 


किसी की जिन्दगी चलाने से नहीं चलती 
किसी की झोपड़ी जलाने से नहीं जलती 
आसमान छूने का हौसला होता पंछियों के अन्दर 
क्योंकि उड़ाने सिर्फ़ परों से नहीं होती 

तुम्हें कोई नफ़रत के भावों से देखे 
उसे प्रेम के गीत तुम अपने दे दो 
बने प्रीत तेरी या मेरी बने वो 
हर एक राह पर प्रेम की जीत लिख दो 


ये नफ़रत की बातें हैं मुझसे न होती
चलो आज मिलकरके बातें हैं होती
उन्हें क्या था समझा वो क्या हो गए हैं
मेरे नाम से उनको आफ़त सी होती

अपने ही हर काम से ही वो खुश हैं
ये दुनियां क्या सोचे वो इससे से अलग हैं
पड़ी बात जब-जब है मुझको उठानी
मेरे साथ से वो अलग हो गए हैं


कभी दिल की ताकत को न आजमाना 
खासकर टूटे दिल को नहीं आजमाना 


ये वादे वादे वादे करने वाले बहुत देखे हैं हमने 
मगर वादे निभाने वाले बहुत कम देखे हैं हमने 


मुझे अपनी भूमि पे अभिमान है ये 
तुम्हें अपनी माता का पैगाम है ये 
बनें चाहे सरहद या दीवार हों वो 
मगर कोई दुश्मन का मुझपे अधिकार न हो 

शिवम अन्तापुरिया
दिल में जिसके प्यार है 
सच्चा वही इंशान है 
लोग डरते-लड़ते रहते
कैसा ये इंशान है 
शिवम अन्तापुरिया

बहुत लिखी आवाज़ तुम्हारी मेरी होंगी 
दुनियाँ की हर बात तुम्हारी मेरी होंगी 
जब भी याद करोगे तुम अपने यारों को 
उसमें सबसे पहली हिचकीं मेरी होंगी 

शिवम अन्तापुरिया

प्रतिशोध नहीं शोध जारी रखता हूँ 
जिंदगी में कुछ न कुछ बाकी रखता हूँ 

शिवम अन्तापुरिया

धैर्य रखो प्रिय एक दिन हम तुमको मिल जाएंगे 
अपनी प्यारी यादों का व्यापार 
तुम्हें दे जाएंगे 

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

जिंदगी ज्यादा कमाल नहीं करती है 
जब करती है तो फ़िर नहीं रुकती है 


बहुत से गुलाब की जगह उसके खत मेरी किताबों में दफ़न हैं 
जब खोलता हूँ पन्ने वो प्यार के 
  तो लगता है ये गुलाब का 
   फ़ूल उसका ही बदन है 

शिवम अन्तापुरिया

जिंदगी ज्यादा कमाल नहीं करती है 
जब करती है तो फ़िर नहीं रुकती है 

शिवम अन्तापुरिया

बहुत से गुलाब की जगह
 उसके खत मेरी किताबों में दफ़न हैं 
जब खोलता हूँ पन्ने वो प्यार के 
  तो लगता है ये गुलाब का 
   फ़ूल उसका ही बदन है 

शिवम अन्तापुरिया

खतरा तो जिन्दा जिंदगी में होता है 
वो जिन्दा ही नहीं फ़िर खतरा किसका है 

शिवम अन्तापुरिया

मेरे साथ रहना मेरे यार यारों 
अकेला मुझे ऐसे छोड़ो न यारों 
नहीं कोई जानम मेरी यार यारों 
मैं खुद ही खुद से पटा भी हूँ यारों 

शिवम अन्तापुरिया

बहुत कुछ लिखा आज फ़िर कुछ लिखेंगे 
इस महफिल में किसी के दरद को पढ़ेंगे 
जो हमारे होकर बिछड़ते चले गए 
उन्हीं की यादों को अब मैं पढ़ूँगा 

शिवम अन्तापुरिया

चलो आज उनसे नजरें मिला लें 
बिना काम के आज उनको बुला लें 

शिवम अन्तापुरिया

लोग शब्दों के बाणों से छलनी हुए
गलतियों से निपटकरके चलनी हुए 
हम जहाँ थे वहाँ पर ही हँसते रहे 
जूझ कर जिंदगी से वो चलते हुए 

शिवम अन्तापुरिया

चार लाईन पढूँगा उसी में 32 इशारे करूँगा 
समझ हो तेरी फ़ितरत में तो समझ लेना 
वर्ना मैं तो अकेला ही रहूँगा 

शिवम अन्तापुरियानवाबों का शहर तहज़ीबों की गलियाँ
आज जा रहे हैं छोड़ करके ये गलियाँ 
वक्त ए़ मोहब्बत ऐसे हीे साथ देना 
फिर से ज़ल्दी बुलाएँ ये गलियाँ 

शिवम अन्तापुरिया

आज बातों ही बातों में उसने प्रपोज किया था 
अपने हर सपनों में मुझको साथ रखा था 

शिवम अन्तापुरिया

हम सफ़र में सदा साथ चलते गए 
 जिंदगी से सदा हाथ मिलते गए 
 दूर थे पास उनके यूँ आते गए 
बात बे बात पर मुस्कुराते गए 

 हम यहाँ तुम वहाँ दूरियाँ हैं बहुत 
भूल गए भी हैं कुछ याद भी है बहुत 
तेरी यादों की बातें भी करनी हैं बहुत 
दिल तेरा और मेरा धड़कता है बहुत 


शिवम अन्तापुरिया

करो खूब गलती यूँ तुम ढेर सारी 
मुझे कोई इनसे मुनाफ़ा नहीं है 
शिवम अन्तापुरिया

कोई पैसा कमाने की सदा ही ज़द में रहता है 
मेरे दिल में हमेशा ही हिन्दुस्तान रहता है 
कहीं भी बात उठती है किसी भी देश की यारों 
मेरा दिल हमेशा ही हिन्दुस्तान कहता है 

मैं चाहत की गलियों में यूँ तुमसे प्यार कर जाऊँ 
  बिना यादों के तेरे मैं जरा भी चैन न पाऊँ 

बिना तेरे जीना ये मुमकिन नहीं है 
 बिना साथ के तेरे चलना नहीं है 
इश्क करता शिवम तुमसे अब यूँ बहुत  
मगर सबसे कहना ये आसाँ नहीं है 

सराहना कोई भी कर देगा मगर 
मुझे अपनी आलोचना सुनना पसंद है न कि सराहना 
क्योंकि आलोचना से अपनी गलतियों को सुधारने में सहयोग मिलता है 

हर पल तुम्हारी मुझे याद आए 
यहाँ से बिछड़ कर बहुत दूर जाए 
कितने शलीके से पाला था उसने 
मेरी माँ तेरी याद हर पल रुलाए 

मंजिल पाने के लिए बहुत कुछ अपना खोना पड़ता है 
ये राहें क्या कभी कभी इरादों को भी बदलना पड़ता है 
शिवम अन्तापुरिया

जिसको सब पागल कहते थे 
वो घर में नालायक था 
आज बताओ फ़िर कैसे वो सबके लायक था 

मुद्दतों के बाद ही कुछ मिलता है !
पहले तो सब कुछ बिखरता है !!

जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है 
जब हम उससे सीखने की कोशिश करते हैं 

शिवम अन्तापुरिया
लोग शक के इरादों में जीने लगे 
वो तो मुझपर भी शक अब हैं करने लगे 
 जिंदगी ये कहाँ ले जाएगी शिवम 
मेरे ख्वाबों में हर पल हैं वो रहने लगे 
शिवम अन्तापुरिया

ये दुनियाँ में हजारों को सिर झुकाते देखा है 
सैकड़ों हार के बाद उसे जीतते भी देखा है 

शिवम अन्तापुरिया
बहुत कुछ बिगड़ कर सँभल हम गए हैं 
तेरे प्यार में ऐसे बँध हम गए हैं 
सुहाना सफ़र कितना है तेरे दिल का 
यही अब सफ़र में उलझ हम गए हैं 

शिवम अन्तापुरिया
मेरे जीवन की गलियों से 
स्वार्थी प्रेम गुज़र नहीं सकता 
ये प्रेम भी एक पीढ़ा है
जिसे हर कोई सह नहीं सकता 

शिवम अन्तापुरिया

तुम्हें प्यार इतना जहाँ में यूँ देकर 
अँधेरों से हमको हैं अँधेरे मिटाने 

शिवम अन्तापुरिया

लोग परदेश से भी अपने घर आयेंगे 
कुछ ऐसे भी हैं बंदे जो न घर जाएँगे 
अब इन्हें भी सँभालो जरा मेरे यारों 
कैसे हम अपनी संस्कृति को बचा पाएँगे
आजकल गाँव-गली की राह में हूँ 
  अपने बुजुर्गों की चाह में हूँ !!

     ~ शिवम अन्तापुरिया

घर से निकले हैं बाहर जाएँगे 
होली के रंग में अब रंग जाएँगे 

शिवम अन्तापुरिया

सबकी दुनियाँ समस्याओं से घिरी है 
मेरी तो जिंदगी किताबों से भरी है
 ~ शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश


Sunday, January 26, 2020

सुबह हुई और साँझ न आई बहुत दिन बीते याद न आई

"याद न आई"

सुबह हुई और साँझ न आई 
बहुत दिन बीते याद न आई
दिल भरमाया तेरे बिन जब 
यादों से फ़िर आँखे भर आई 

मुझे एक भरोसा तुम पर था 
संघर्ष भरी जब बात है आई 
जीवन की ये राह कठिन है 
हर मानव को रास न आई 

सफ़ल वही होता है आया 
जिसने खुद से प्रीत निभाई 
जग-जीवन भी मोह है माया 
बात सभी के समझ न आई

      रचयिता 
 शिवम अन्तापुरिया 
कानपुर उत्तर प्रदेश

Thursday, January 23, 2020

जायजा रखता हूँ

" गज़ल "

सभी खतों का जायजा रखता हूँ 
किसने क्या लिखा याद रखता हूँ 

मेरी जिंदगी दर ए बदर हो गई
 साथ है उसका ख्याल रखता हूँ 

वो फ़ूल चुन-चुन कर लाती रही 
मैं पसंद तो सिर्फ़ गुलाब करता हूँ 

जिंदगी प्यार की ओर मुड़ गई 
मैं तो खुद से ही प्यार करता हूँ 

आज एक बात मुझे याद आ गई 
कि मैं उससे भी प्यार करता हूँ 

ये मुशलसल एक ही राह है मेरी 
 मैं इश्क से डरता ही रहता हूँ 

आज सबसे एक गुजारिश है मेरी 
मैं दिल से तेरे दिल में उतरता हूँ 

शिवम अन्तापुरिया 
 कानपुर उत्तर प्रदेश

ऐसे वीर हैं

"ऐसे वीर हैं"

हाथ उठाकर चले जीतने 
भारत माँ के दुश्मन से 
सदा सत्य पर अडिग हैं 
रहते ऐसे वीर हैं भारत के 

भारत माँ के मस्तक को 
ऊँचा हमको रखना है 
दुश्मन के हर मन्सूबे को 
लाश समान ही रखना है 

जीना चाहता है धरती पर 
तो फ़िर सबक सीख ले तू 
क्या हश्र हुआ था भटकल 
का याद जरा सा करले तू 


शिवम अन्तापुरिया 
कानपुर उत्तर प्रदेश 

नौकरी की तलाश कहानी

"नौकरी की तलाश"

रोहन अपनी जिंदगी में थक हार कर जिंदगी को कोशता हुआ अपने आप को भला बुरा कह रहा था आखिर मुझे क्यों बनाया भगवान ने,मुझे क्यों भेजा ये ताने मारने वाली दुनियाँ में इससे अच्छा था मुझे अपने पास बुला लिया होता, जब मैं इस भौतिकी संसार के लायक ही नहीं था,दरअसल रोहन अब एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक़ रखता है खैर वो बात और थी जब उसके परदादा जमीदार हुआ करते थे ये सब रोहन अपने पिता जी और अपने बाबा से सुना करता था कि कभी हम ऐसे थे वैसे थे फ़िर भी उसे अपने घर वालों से कोई परेशानी नहीं थी, रोहन अपनी पढाई पूरी कर चुका था और अब एक नौकरी की तलाश में था लेकिन सबसे बड़ी बात यही थी कि आज का युग और उसपर भी रिश्वत का दौर तो आजकल बहुत ही जोरों से चल रहा है,ऐसा भी नहीं है कि रोहन पढने में कमजोर हो,पढाई में अव्वल होने की वजह ये थी कि रोहन पढाई के दिनों सोचा करता था कि मुझे नौकरी बहुत ही जल्दी मिल जायेगी, लेकिन यहाँ तो कुछ और ही हुआ,अब तक रोहन बहुत कंपनियों में अपने फ़ार्म डाल चुका था लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ लगी,आज फ़िर रोहन एक इन्टरव्यू देकर लौट रहा फ़ोन पर बेल  बज़ी उसने मैसेज को पढ़ा तो पता चला की आपका चयन नहीं हुआ है रोहन बस के शीशे में सिर टेक कर हे भगवान कहकर बैठ गया,बगल में बैठी लड़की ने रोहन से पूछ ही लिया क्या हुआ ? रोहन कुछ नहीं बोला लेकिन बार बार पूछने पर रोहन ने उदास मन से झेंपते हुए कहा न कुछ नहीं (थोड़ी सख्त आवाज़ में) ये कम्पनियों वाले भी न जाने क्या समझते हैं अपने आपको (रोहन ने धीरे से, अपने आप से कहा) लेकिन इस बार रोहन का गुस्सा खतम ही हो गया जब लड़की ने फ़िर पूछा अरे बताओ न ऐसा हुआ आपके साथ (थोड़ा लरज़ते हुए प्यार भरी आवाज़ में) अब रोहन ने एक साँस में अपनी सब कथा सुना दी ये जो दुनियां है न यहाँ सबकी किस्मत रिश्वत से ही बनती है सही ही कहा गया है कि कलयुग में "मेहनत से न किस्मत से बनता मुकद्दर रिश्वत से" रोहन ने कहा मुझे एक नौकरी की तलाश है और अब मैं बिल्कुल हताश हो चुका हूँ अब लगता कि बस रिटायरी का ही फ़ार्म भर दूँ ,लड़की ने रोहन से बातों ही बातों नाम पूछा और रोहन ने उससे लड़की ने अपना ना कलिका बताया महज़ चंद समय में दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए कलिका ने रोहन की आंखों में आंखें डालकर कहा क्या आप अपना रिज्यूम दिखा सकते हैं रोहन उसे अपना रिज्यूम दिया कलिका ने अपने पापा की कम्पनी में रिज्यूम व्हाट्सएप किया और रोहन को अब एक मेल आता है महज़ दस मिनट में कि आपको बधाई आपका सिलेक्सन हो गया है आपको मेरी कम्पनी में इन्जीनियर के पद पर कार्यभार सौंपा जाता है, अब रोहन कलिका को एक टक देखता ही रहा मानों जैसे उसमें अब जान ही न हो और जब उसका मौन टूटा तब तक कलिका की झील जैसी गहरी आंखों में भी पानी भर आया था 
और रोहन के आँशू अब तक उसके गालों को भिगाते हुए उसके शर्ट पर टप टप की आवाज दे रहे थे मानों कह रहे हो कि अब मुझे अपनी आँखों से जुदा न करो, रोहन के आँशू कलिका ने पोंछने के लिए जैसे हाथ बढ़ाया रोहन अपने सँभालते हुए कुछ कह पाता कि कलिका ने उसे अपनी बाहों में ले लिया, 
चंद क्षण में ही दोनों एक दूसरे के हो गए ।....

  लेखक 
शिवम अन्तापुरिया
  उत्तर प्रदेश

Tuesday, January 14, 2020

हिन्दी रज़ है मेरी

हिन्दी है रज़ भाषा मेरी 
हिन्दी ही मेरी शान है 
हिन्द देश के वीर सिपाही 
हिन्दी मेरी जान है 

शिवम अन्तापुरिया

बहुत दिन हुए लोगों से मिले नहीं 
आज देख लूँ किसी को शिकवे तो नहीं 

शिवम अन्तापुरिया

बात खुशी की नहीं अगर आप की नहीं तो हमारी नहीं 
ये खुशियाँ तो हैं बाँटने के लिए 
आपको न मिलीं तो मुझे नहीं 

शिवम अन्तापुरिया

वक्त नहीं है वक्त जाया नहीं करेंगे 
जिंदगी रही अगर तो एक दिन फ़िर से मिलेंगे

उम्र सैकड़ों वर्ष तो क्या फ़ायदा जिसमें नाम कुछ न कमाए 
नाम जितनी ही कम उम्र में ज्यादा कर सके उतना कमाए

लिखीं जिंदगी की अनेक कहानियाँ 
शामिल हैं उसमें कई
 दुश्वारियाँ
 शिवम अन्तापुरिया

कदम कदम पर जिंदगी 
इन्तहान लेती है 
कभी कभी जिंदगी ही 
जान लेती है 


चलो एक इल्ज़ाम और अपने सिर पर लेता हूँ 
सभी शहरों की मोहब्बत अपने नाम लेता हूँ

शिवम अन्तापुरिया 

उम्मीद में तेरे

"उम्मीद में तेरे"

कई सवाल खड़े किए 
  इस जहाँ में तूने 
मैं हूँ सदा खड़ा रहा 
यहाँ उम्मीद में तेरे 

आज कुछ सिलसिले 
देखने को मिल गए 
कुछ अपने ही अपनों
के लिए तरस गए 

 अब क्या क्या लिखूँ 
   साहब! तुम पर 
अब काबू नहीं कर 
पा रहा हूँ खुद पर 

   रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
 उत्तर प्रदेश

मुक्तक,छंद

" मुक्तक, छंद "

नित नित नए आयाम पर रहे पहुँच अब लोग 
क्या मुश्किल है सफ़र में 
न जाने सब लोग

जंग से जंग को जीत हम जाएंगे 
तेरी चाहत के दीपक भी जल जाएंगे 
ये समाँ आसमाँ मेरा क्या कर सकें
प्यार से हम तेरे जब निखर जाएंगे

बेमौसम बरसात 

आज फ़िर से वही है मिज़ाज़ तेरा 
ये किसानों के खेतों पे राज़ है तेरा 
ये तो गिरते उठते भी चले जाएंगे 
हर जगह अब अपमानों में जिक्र है तेरा 

मौसमों के जरा हाल मत पूछिए 
प्रकृति से करें क्या सवाल ये मत पूछिए
नेता खा हैं रहे सब किसानों का हैं     
और क्या ढाए है जुलम प्रकृति ये मत पूछिए 

ये प्यार मोहब्बत में मैने जो भी लिखा है 
वो कल्पनाए हैं 
संभावनाए नहीं 

साल बदला है शलीके नहीं बदले 
खर्चा वही रहेगा 
लोगों के तरीके 
नहीं बदले 


इश्क की दूरियाँ और अब बढ़ गईं 
तेरे होने न होने से क्या फ़ायदा 
जिंदगी से मेरी एक खफ़ा हो गई 
प्यार लाखों से करने से क्या फ़ायदा 

भारतीय सेना की हिम्मत क्या है पता है आपको 

जब चीन युध्द में सरकार सेना को रोटियाँ नहीं भेज पाई 
युद्ध लड़ा सेना ने गोली खाकर भूख मिटाई 
सेना की हिम्मत को तुमको सदा दाद देनी होगी 
घर में इकलौता पूत था जो उसने भी गोली खाई 

नई राहें,नई मंजिल 
अपनी राहें,अपनी मंजिल 



लाहौर में ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर हमले का जवाब दिया दे रहा हूँ नापाक पाकिस्तान सुन 

तू कर रहा अधर्म के काम पाक हो नहीं सकता 
गर हम हुए गुस्सा फ़िर तू बच भी नहीं सकता 
बार बार की गलतियों से तंग आ चुका हूँ अब 
जो उठे हाथ मेरे तो पाकिस्तान बच नहीं सकता 

हमने वो मन्ज़र देखें हैं 
जो तुम देख नहीं सकते 
हमने वो खन्ज़र सहे हैं 
जो तुम सह नहीं सकते 
पाकिस्तान अब भी वक्त है
 सँभल जा हम वो हश्र करेंगे 
जो तुम देख नहीं सकते 


लखनऊ में हूँ आज इसलिए 
साहब! 
इस शहर में सबको जल्दी है शायद 
ये भूल रहे हैं जिन्हें जल्दी थी वो चले गए हैं शायद 

साहब !
प्यार को प्यार ही रहने दें 
धोखे से तलवार न बनने दें 


साहब! ये इश्क है इससे दूर ही रहा जाए ।
जिंदगी के साथ खिलवाड़ न किया जाए ।।

अरे कल्पना तेरी कल्पना क्या करूँ 
जिंदगी की हर मोड़ पर यारी 
करूँ
जिंदगी मौत से जूझे या फ़िर खत्म हो जाए 
मगर कल्पना से अब कल्पना क्या करूँ

मैं देख रहा हूँ तेवर भारत के इन गद्दारों के 
जो सीना छलनी करवाते हैं 
माँ भारती के लालों के 
कभी खड़ा किया होता अपना पुत्र सीमा पर 
तो गद्दारी बह गई होती तुम्हारे आँखों से 

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश

Thursday, January 9, 2020

साहित्य सारथी गौरव सम्मान से नवाज़ा गया शिवम अन्तापुरिया को दिया गया जो कि नौवाँ सम्मान

साहित्य सारथी गौरव सम्मान से नवाज़ा गया शिवम अन्तापुरिया को दिया गया जो कि नौवाँ सम्मान है 2020 का दूसरा जो कि 8 जनवरी 2020 को दिया गया हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा 

अटल साहित्य सम्मान से नवाज़ा गया शिवम अन्तापुरिया को ये इनका आठवाँ सम्मान 2020 का पहला

"अटल साहित्य सम्मान से नवाज़े गए युवा कवि शिवम अन्तापुरिया"

अपने जिले कानपुर देहात का नाम किया रोशन शिवम अन्तापुरिया ने अटल साहित्य सम्मान पाकर,
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 05 जनवरी 2020 को वातसल्य फ़ाउन्डैसन द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह में युवा कवि/लेखक शिवम अन्तापुरिया को
"अटल साहित्य सम्मान" अंतरराष्ट्रीय कवियित्री डाॅ.सुमन दुबे,व प्रख्यात मिश्रा भैया के हाथों दिया गया।ये सम्मान की खबर मिलते ही पूरे देश उनके परिचित उन्हें बधाईयाँ व अग्रिम भविष्य के शुभकामनाएँ दे रहे हैं।अगर आप भी उन्हें बधाई देना चाहते हैं तो अभी ही उन्हें +91 9454434161 पर व्हाट्सएप करें, उनके लगातार साहित्य में योगदान देने व लगातार लेखन करने के साथ उनकी पहली किताब "राहों हवाओं में मन" 2019 में प्रकाशित हुई और दूसरी किताब साझा संग्रह "वो देखती राहें" 2020 जनवरी में आ रही है जिसको देखते हुए उन्हें साहित्य में ये सम्मान से नवाज़ा गया,इससे पहले पिछले साल 2019 अप्रैल से दिसम्बर 2019 तक इन्हें सात सम्मानों से सम्मानित किया गया जिसमें नवांकुर कवि सम्मान में महाकवि दादा श्री प्रकाश पटेरिया स्म्रति सम्मान,नई कलम सम्मान कई छोटे बड़े मंचो से दिए गए जिसमें शामिल विश्वस्तरीय संस्था स्टोरी मिरर पर उनके सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए "साहित्यक लेफ़्टिनेन्ट अवार्ड" भी दिया जा चुका है,जिस पर करोड़ो की संख्या में लोग जुड़े हुए हैं, इनकी रचनाएं निरंतर देश-विदेश के अखबारों में प्रकाशित हुआ करती हैं भारतीय अखबार जैसे दैनिक जागरण,अमर उजाला सहित देश के लगभग 30-35 अखबारों और लगभग 15 राज्यों में निरंतर रचनाएं प्रकाशित हुआ करती हैं।

Wednesday, January 1, 2020

कई मुक्तक

🙏💐🌷Twenty Twenty Year🌷🌹💐🙏
 की 
समूचे विश्व को हार्दिक शुभकामनाएँ 

आपका अपना अनुज 
शिवम यादव "अन्तापुरिया"

20 हार्दिक शुभकामनाएँ 20

कुछ मिला कुछ नहीं मिला 
और 2019 चला गया 
जीवन में कुछ पाने की 
आपाधापी में 2020 है आ गया 

शिवम अन्तापुरिया

प्रथम किरण रवि देव की, 
निकली है अब आए, 
भोर नमन इस जगत में 
 नई साल गई आए

शिवम अन्तापुरिया

साल बदली आज है 
365 दिन बाद 
लोग बदलते रोज़ हैं  
नित नए रूप बनात 

शिवम अन्तापुरिया

कभी तूफ़ानो की भाँति मचल कर
 वो दिल पर आती है 
लरजते हुए वो मेरे गले लग जाती है 

शिवम अन्तापुरिया

याद क्रिसमस🎄से उनकी न यादें रहीं
जिनकी शहादत से आज़ादी हमको मिली 
गा रहे गीत क्रिसमस का हैं आज हम 
भूल उनको गए जिनकी देश पर न्योछावर जानें हुईं 

.©®शिवम यादव अन्तापुरिया

नफ़रतें जो खड़ी वो तो जल जाएंगी 
साँस सड़कों पे जाने से थम जाएंगी 
मामला नागरिकता का साहब है ये 
सारी उम्रें क्या सड़को पे कट जाएंगी 

©®शिवम अन्तापुरिया

दर्द अपने यूँ तुमको हम दे जाएंगे 
नफ़रतों को मोहब्बत सिखा जाएंगे 
चल दिए हैं हम अब जिस राह पर 
उन राहों को फ़ूलों से सज़ा जाएंगे 

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

किसी को इश्क में सज़ा तो किसी को दुआ मिल गई 
ये जिंदगी थी अधूरी उसमें भी एक बददुआ मिल गई 
दुनियाँ ने कहा देखता हूँ तू कहाँ तक जायेगा 
साहब जहाँ मैं खड़ा था वही मेरी हमनवा मिल गई 

©® शिवम अन्तापुरिया

अब जिंदगी के मेरे उसूल यही हैं
जिंदगी के जंग में कुबूल सभी हैं

शिवम अन्तापुरिया

नज़्म जो थी लिखी वो न भूले कभी 
स्वार्थ ही स्वार्थ में डूबे दिखते सभी 

जिंदगी थी हुनर अपना देती रही 
अपने बदले मेरी जान लेती रही 

हम बदलते बदलते यूँ क्या हो गए 
मेरी आदत कभी ऐसी थी ही नहीं 

हम रहे जिंदगी भर तेरे साथ थे 
साथ तेरे कभी की बेवफ़ाई नहीं 

जिनको समझा था अपना वो हुए ही नहीं 
जिंदगी से लड़े तो फ़िर मौत से हम कभी 

नज़्म जो थी लिखी वो न भूले कभी 
स्वार्थ ही स्वार्थ में डूबे दिखते सभी

शिवम अन्तापुरिया
   उत्तर प्रदेश

जिंदगी के कठिन दौर कट जाएंगे 
जुर्म इतने खुदा हम न सह पाएँगे 

ये समय है मेरा आज कैसा खुदा 
बिन तेरे एक कदम हम न चल पाएँगे 

©® शिवम अन्तापुरिया

ये मोहब्बत शिवम तेरे काबिल नहीं
लोग करते हैं सज़दा होते शामिल नहीं 

शिवम अन्तापुरिया

अपना मन अपना तन 
   जहाँ मन आए 
    वहीं जा रम

शिवम अन्तापुरिया

हर सफ़र के साथ जिंदगी का इम्तहान है 
तू रूठ कर जा रहा है कैसा इंशान है 

कोई घर जलाए बैठा है 
कोई खुद को जलाए बैठा है
ये सफ़र एक कहानी है
जो हज़ारों किरदार लिए बैठा है 

शिवम अन्तापुरिया

कोई नफ़रत से रहता है 
कोई यादों में रहता है 
अजब सी ये कहानी है 
कोई भी सूरत पे मरता है 
कोई यादों में जलकरके 
कभी दीपक सा जलता है 
ये दुनियाँ प्रेम की दुश्मन
 तेरे शक से ही जलता है 

शिवम अन्तापुरिया

आकर मिलो

" आकर मिलो "

हाँ नव वर्ष की पावन बेला पर  
प्रेम है मुझसे तो आकर मिलो

जिंदगी की इस नई दौड़ में फ़िर 
करो कुछ बात तो आकर मिलो 

इतनी आसानी से भूलो मुझे अगर 
फ़िर भी एक बार तो आकर मिलो

मैं तो जाऊँगा हर हालात से गुजर 
साथ चलोगे तुम तो आकर मिलो 

हार-जीत की बात नहीं है मगर 
कुछ है पूछना तो आकर मिलो 

प्रेम की बहुत मुश्किल है डगर 
तुम्हें चलना है तो आकर मिलो 

   रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश