कई सवाल खड़े किए
इस जहाँ में तूने
मैं हूँ सदा खड़ा रहा
यहाँ उम्मीद में तेरे
आज कुछ सिलसिले
देखने को मिल गए
कुछ अपने ही अपनों
के लिए तरस गए
अब क्या क्या लिखूँ
साहब! तुम पर
अब काबू नहीं कर
पा रहा हूँ खुद पर
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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