Thursday, January 23, 2020

नौकरी की तलाश कहानी

"नौकरी की तलाश"

रोहन अपनी जिंदगी में थक हार कर जिंदगी को कोशता हुआ अपने आप को भला बुरा कह रहा था आखिर मुझे क्यों बनाया भगवान ने,मुझे क्यों भेजा ये ताने मारने वाली दुनियाँ में इससे अच्छा था मुझे अपने पास बुला लिया होता, जब मैं इस भौतिकी संसार के लायक ही नहीं था,दरअसल रोहन अब एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक़ रखता है खैर वो बात और थी जब उसके परदादा जमीदार हुआ करते थे ये सब रोहन अपने पिता जी और अपने बाबा से सुना करता था कि कभी हम ऐसे थे वैसे थे फ़िर भी उसे अपने घर वालों से कोई परेशानी नहीं थी, रोहन अपनी पढाई पूरी कर चुका था और अब एक नौकरी की तलाश में था लेकिन सबसे बड़ी बात यही थी कि आज का युग और उसपर भी रिश्वत का दौर तो आजकल बहुत ही जोरों से चल रहा है,ऐसा भी नहीं है कि रोहन पढने में कमजोर हो,पढाई में अव्वल होने की वजह ये थी कि रोहन पढाई के दिनों सोचा करता था कि मुझे नौकरी बहुत ही जल्दी मिल जायेगी, लेकिन यहाँ तो कुछ और ही हुआ,अब तक रोहन बहुत कंपनियों में अपने फ़ार्म डाल चुका था लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ लगी,आज फ़िर रोहन एक इन्टरव्यू देकर लौट रहा फ़ोन पर बेल  बज़ी उसने मैसेज को पढ़ा तो पता चला की आपका चयन नहीं हुआ है रोहन बस के शीशे में सिर टेक कर हे भगवान कहकर बैठ गया,बगल में बैठी लड़की ने रोहन से पूछ ही लिया क्या हुआ ? रोहन कुछ नहीं बोला लेकिन बार बार पूछने पर रोहन ने उदास मन से झेंपते हुए कहा न कुछ नहीं (थोड़ी सख्त आवाज़ में) ये कम्पनियों वाले भी न जाने क्या समझते हैं अपने आपको (रोहन ने धीरे से, अपने आप से कहा) लेकिन इस बार रोहन का गुस्सा खतम ही हो गया जब लड़की ने फ़िर पूछा अरे बताओ न ऐसा हुआ आपके साथ (थोड़ा लरज़ते हुए प्यार भरी आवाज़ में) अब रोहन ने एक साँस में अपनी सब कथा सुना दी ये जो दुनियां है न यहाँ सबकी किस्मत रिश्वत से ही बनती है सही ही कहा गया है कि कलयुग में "मेहनत से न किस्मत से बनता मुकद्दर रिश्वत से" रोहन ने कहा मुझे एक नौकरी की तलाश है और अब मैं बिल्कुल हताश हो चुका हूँ अब लगता कि बस रिटायरी का ही फ़ार्म भर दूँ ,लड़की ने रोहन से बातों ही बातों नाम पूछा और रोहन ने उससे लड़की ने अपना ना कलिका बताया महज़ चंद समय में दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए कलिका ने रोहन की आंखों में आंखें डालकर कहा क्या आप अपना रिज्यूम दिखा सकते हैं रोहन उसे अपना रिज्यूम दिया कलिका ने अपने पापा की कम्पनी में रिज्यूम व्हाट्सएप किया और रोहन को अब एक मेल आता है महज़ दस मिनट में कि आपको बधाई आपका सिलेक्सन हो गया है आपको मेरी कम्पनी में इन्जीनियर के पद पर कार्यभार सौंपा जाता है, अब रोहन कलिका को एक टक देखता ही रहा मानों जैसे उसमें अब जान ही न हो और जब उसका मौन टूटा तब तक कलिका की झील जैसी गहरी आंखों में भी पानी भर आया था 
और रोहन के आँशू अब तक उसके गालों को भिगाते हुए उसके शर्ट पर टप टप की आवाज दे रहे थे मानों कह रहे हो कि अब मुझे अपनी आँखों से जुदा न करो, रोहन के आँशू कलिका ने पोंछने के लिए जैसे हाथ बढ़ाया रोहन अपने सँभालते हुए कुछ कह पाता कि कलिका ने उसे अपनी बाहों में ले लिया, 
चंद क्षण में ही दोनों एक दूसरे के हो गए ।....

  लेखक 
शिवम अन्तापुरिया
  उत्तर प्रदेश

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