Sunday, January 26, 2020

सुबह हुई और साँझ न आई बहुत दिन बीते याद न आई

"याद न आई"

सुबह हुई और साँझ न आई 
बहुत दिन बीते याद न आई
दिल भरमाया तेरे बिन जब 
यादों से फ़िर आँखे भर आई 

मुझे एक भरोसा तुम पर था 
संघर्ष भरी जब बात है आई 
जीवन की ये राह कठिन है 
हर मानव को रास न आई 

सफ़ल वही होता है आया 
जिसने खुद से प्रीत निभाई 
जग-जीवन भी मोह है माया 
बात सभी के समझ न आई

      रचयिता 
 शिवम अन्तापुरिया 
कानपुर उत्तर प्रदेश

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