Friday, August 30, 2019

"ख्वाबो का जिकर" गज़ल शिवम अन्तापुरिया की

गज़ल
"ख्वाबों का जिकर"

लिखकर तूने मेरे ख्वाबों का जिकर ...
साबित था किया तुझको रहती है मेरी फ़िकर ....
रात को सोने से पहले मैं बड़ी देर तक जागा
तेरी यादों का था ये कैसा असर
हैं हमारे-तुम्हारे अब दुश्मन भी ज्यादा
तभी लोग शायद मुझपे रखतें हैं ज्यादा नज़र ...
आज देखा था इक,बहुत हशीन चेहरा
नहीं है पता क्यों ,मिलाए था नज़र से नज़र ...
लिखकर तूने मेरे ख्वाबों का जिकर
साबित था किया तुझको रहती है मेरी फ़िकर...

युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
  उत्तर प्रदेश

Wednesday, August 28, 2019

कुछ सच

मोहब्बत में मेरी आकर वो
   सियासत भूल जाती है
मोहब्बत इश्क की जन्ज़ीर है
जो एक दिन टूट जाती है

शिवम अन्तापुरिया

माँ  ममता रूपी समुन्दर में डुबा सबको देती है
लेकिन साहब ये माँ की ममता ही है
जिसमें डूबते तो हैं लोग मगर मरते नहीं हैं
     
      शिवम अन्तापुरिया

मुशीबत में मानव का सच्चा साथ तो सिर्फ "आँशू" देते हैं...
बाकी तो सब दिखावा मात्र होते हैं...

शिवम अन्तापुरिया

मेरे खिलाफ़ तेरा बड़े से बड़ा सुबूत भी काम नहीं आयेगा...
क्योंकि तूने मोहब्बत की है जिसे करने तेरा भाईजान नहीं आयेगा...

शिवम अन्तापुरिया

Saturday, August 24, 2019

डिग्री तहज़ीब की

दिन डूबता है या सूरज
पता नहीं...?
मुझे तो लगता है सूरज डूबता है और 12 घंटे बाद फ़िर उछल आता है

शिवम अन्तापुरिया

ग्रेजुएशन करने मात्र से जाॅब इसलिए नहीं मिलती है क्योंकि वो जाॅब की नहीं सिर्फ #तहजीब की डिग्री है
समझ गए
@Im..poet..

Friday, August 23, 2019

तिरंगा थमाकर कश्मीर को

"तिरंगा थमाकर कश्मीर को"

कर गए हैं तुम्हारे हवाले
    देश की लगाम को ...
मत भूलो उनकी शौर्य गाथा
जिन्होंने सींचा है अपने
खून से आजादी को...

  लड़ते गए बहाते गए
रण में अपने खून को
देश की रक्षा के खातिर
तड़पता छोड़ गए परिवार को
कर रहा मैं खुद नमन हूँ
ऐसे उनके त्याग को

पत्थर सीना पर वो रखकर
   लड़ रहे थे शान से
   काम आयी वो भी शहादत
आखिर तिरंगा दे गए कश्मीर को

लिखते न थकती मेरी कलम है
   शहादतों के शौर्य को
अभी तक शायद स्वतंत्रत
    ही था मेरा भारत
आज अखण्ड व आजाद हुआ है
  तिरंगा थमाकर कश्मीर को

युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

अपना पता

गंगा यमुना के बीच की जो
   उपजाऊ माटी है
यही पर जिन्दगी
    बिताना बाकी है

शिवम अन्तापुरिया सिकन्द्रा कानपुर उत्तर प्रदेश

मेरी जिंदगी तो अकेली ही है
फ़िर इसके हक़दार बहुत हैं

शिवम अन्तापुरिया

मोहब्बत में मेरी आकर वो
सियासत भूल जाती है

शिवम अन्तापुरिया

नीचे की पंक्तिया मुझे आगरा के
युवा कवि शर्मा ने समर्पित की हैं

देख कर आपकी सूरत को
मैं सीरत भी पहचान गया,
लेखनी आपकी अति सुंदर
पुरस्कार देख कर जान गया।
सम्मान देख कर फक्र हुआ
ये सब कवियों की जीत है,
रण भूमि कवियों का मंच है,
जो जीता वही शिवम  अन्तापरिया  है ।

बदलने की क्षमता ही बुद्धिमत्ता का माप है

मैं अपने खूब सूरत लब्ज़ से तेरी अदा लिख दूँ
मोहब्बत इश्क का कर्ज़ा है जिसको मैं अदा कर दूँ
शिवम अन्तापुरिया

बदलने की क्षमता ही
बुद्धिमत्ता का माप है
देखकर तेवर उसका
चढ़ जाता मुझे ताप है
   आँखो से आँखो मिलने से
  नुनखराहट ने जन्म क्या लिया
उसमें ऐसा बदलाव आया कि
      तब से जप रहा वो
    इश्क का ही जाप है

शिवम अन्तापुरिया

बात को कहने वाले

मेरी हर बात पर वो बात
    को कहने वाले
आज़ भी सब ज़िन्दा हैं
  तेरे लब्ज़ो पर मरने वाले

शिवम अन्तापुरिया
    उत्तर प्रदेश

मैं तो हज़ारा बनकरके तेरे प्यार को सींचता रहूँगा,
तुझमे प्रेम के बीज अंकुरित होते तो दिखे मुझे

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश

सुनने में आया मेरा
कोई नूर नहीं है
  चाहत से बड़ा इस
समय कोई हूर नहीं है

शिवम अन्तापुरिया

श्रमिक से भी बदतर

श्रमिक से भी बदतर जीवन जिया है उसने...
कभी खुद को भी अपना नहीं समझा है उसने...
लोगों की ख्वाहिशे पूरी की है उसने...
मगर खुद के लिए अब भी महज़ वक़्त नहीं दिया है उसने...
©®~शिवम अन्तापुरिया

Tuesday, August 13, 2019

शेर

जालिमो की नगरी में अन्जान जाए कैसे
जो खुद से ही रूठा हो उसे खुश किया जाए कैसे

शिवम अन्तापुरिया

Saturday, August 10, 2019

" गज़ल पेश है"

इश्क ही तो मोहब्बत का ईमान है,
संग तेरे बिताई बस यही शाम है,
रटता रहूँगा तेरा नाम ही मैं
लगता है हमेशा वो रहता पिए जाम है
रात को चैन से भी वो सोयेगी कैसे
वो रहती चाहत से मेरी परेशान है
साथ उसने मेरा खैर छोड़ा नहीं
याद बनकरके तन्हा रुलाती रही

चाहत से तेरी वो परेशान है...
मोहब्बत में तेरे कोई कुर्बान है...

सुहाना है मौसम गुज़र जायेगा,
चाँद से चाँदनी भी बिखर जाएगा,

आज बैठे हैं वो मुझको रुलाने के बाद
दिल में लगा है मेरे आज धक्का
उनके मुस्कराने के बाद

शिवम यादव
"अन्तापुरिया"

+91 9454434161

जिन लोगों को मेरी जरूरत नहीं...
उनसे मिलने की मेरी भी आदत नहीं...
गुज़र हूँ रहा मैं कठिन दौर से...
श्वांस थमते-थमते है थमती नहीं...
शिवम अन्तापुरिया

हवा ही हवा का ये पैगाम है
चाँद तारों में लिखा तेरा नाम है

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

सुहाना है मौसम गुज़र जायेगा,
चाँद से चाँदनी भी बिखर जाएगा,

शिवम यादव अन्तापुरिया

तुम लड़ लो

कल बड़ी मुश्किल से खुद को पागल साबित कर पाया मैं
तब जाकर उसने मुझसे दूर
होने का फ़ैसला किया

वो तो जिद्द कर बैठी थी
मेरे साथ रहने की

अब कुछ सुकून मिल मुझे

शिवम अन्तापुरिया

कभी किस्मत से लङकर देख लेना वो हार गई तो तुम्हारी हो जाएगी
.....बाकी बाद में लिखता हूँ पहले तुम लोग लङ लो
@.Im.poet.

Wednesday, August 7, 2019

"जम्मू कश्मीर कहता हूँ"

"जम्मू कश्मीर कहता हूँ"

मुसाफ़िर था मुसाफ़िर हूँ
तेरी चाहत का शायर हूँ
कभी काबिलियत का मारा हूँ
कभी खुद ही खुद से हारा हूँ

जिया हूँ चाह में तेरी
तेरी नजरों पे वारा हूँ

मेरी चाहत की दुनियां में
तू खुद को पाकिस्तान
कहती है

मैं बेतहासा तुझसे चाह
रखता हूँ
इसलिए भारत के नक्शे में
तुझे जम्मू कश्मीर कहता हूँ

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत

जीवन की नौका

"जीवन की नौका"

ये जिंदगी है
   फ़ूल,बेल,लताओ
      की तरह
लेने हिलोरे है लगती
बहती हवाओ के सहारे
गम और खुशियो
के मोती पिरोकर
गले में माला
डाल देती है हमारे
अन्तता तक जीवन
में खुशियो के लिए
दौड़ हम करते रहे

खुद ही खुद से
लड़ झगड़ कर
जीवन की नौका
में विहार हम
करते रहे
क्योंकि
बहुत चलकर
देख सुनकर
जिंदगी के साथ
अकेले के अकेले
ही रहे,

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत

बरशे बदरा

"बरशे बदरा"

आज बरशे बदरा
मुझको मौसम
सुहाना लागे
खेत हो रहे
हरे भरे खलिहान
लाॅन सी लागे
बरशे बदरा...
मन भर गया
उमंगो से
दूर कोश कोश
तक भागे
सिर पर लाखों
बोझ रखे थे
वो भी हल्के
हल्के लागे
बरशे बदरा...
मन भी झूमा
तन भी झूमा
अंग अंग
खिली बहारें
मन मस्त जमीं
पर घूूम रहा है
रंगीला रंगीला लागे
बरशे बदरा...

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत

Sunday, August 4, 2019

2- हाइकु

2-   हाइकु

6- मैं उसकी आँखों का
काजल
वो मेरी आँखों की
रोशनी है

7- प्रेम आँखो की
राहों से
दिल में उतर
जाता है

8- कुछ वक्त सही हो
कुछ हम सही हो
बस जिंदगी
गुज़र जायेगी

9- काश! 
मैं तेरी हो गयी होती
और तू मेरा होकर
बिछडा होता

10- तुझे नजरों में
कैद कर रखा है
अब हथकड़ियों की
क्या जरूरत है

11- पास आकर वो
मेरा न हो सका
और मैं उसे अपना
समझता रहा

शिवम अन्तापुरिया

कुछ वक्त सही हो
कुछ हम सही हो
बस जिंदगी गुज़र जायेगी

शिवम अन्तापुरिया

वो आयेगी

"वो आयेगी"
जिन्दगी जो भी है
सारी कट जायेगी
आज हम पास हैं
वो भी कल आयेगी,

जीना है जो जुनू
मौत डर जायेगी
शामो ,सुबह रोज़
याद भी आयेगी,

जिस्म की दोस्ती
होती अच्छी नहीं
एक न एक दिन
ले के डूब जायेगी,

हाथ थे दूर तक
मेरे फ़ैले हुए
न पता था मुझे
इस राह से भी
वो  आयेगी,

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
+91 9454434161

कुछ वक्त सही हो
कुछ हम सही हो
बस जिंदगी गुज़र जायेगी

शिवम अन्तापुरिया

"कृतियों और रचनाओं में अक्सर तेरा नाम लिखता हूँ,...हाँ मैं कुछ इस तरह से तेरे नाम अपना पैगाम लिखता हूँ !"  -@शिवम अन्तापुरिया

मुझे जरा खुद ही खुद से दूर होने दो
शिवम अन्तापुरिया

1- हाइकु

हाइकु
1-
मैं चला तू चला
संग चला और
चलता गया
वक्त ने करवट
क्या ली
तू तो छूट गया

2- मोहब्बत ही जन्म है मेरी
और मोहब्बत से जंग है तेरी

3- राहें हजारों थी
तुम्हें चुननी एक थी

4- हर मोड़ पर वो
     खड़े थे
मगर हम मिले न थे

5- मुझे अब खुद ही
खुद से दूर होना है

युवा कवि/लेखक
~ शिवम अन्तापुरिया

"देश शत शत नमन"

"देश शत शत नमन"

  दे दिया है वतन
तुमको अपना जनम
बह रहे हैं लहू में
मेरे अब सारे ये गम
देश पर हैं कर रहे
प्राण न्योछावर अब हम

देश की सरहद हो चाहें
   चाहें हो दुश्मन की दम
          पैर पीछे हम न रखेंगे
भले मौत को गले लगा लें हम

   देश तुझको कर रहा हूँ
नई पीढ़ी के अब हवाले हम
     वीर कुछ हैं नए नवेले
इनका मार्गदर्शन करना अब तुम

छोड़ कर अब जा रहे हैं
भारत माँ के गोद में हम
माफ़ करना देश मेरे मुझको
है तुम्हें लाखों कोटि शत शत नमन

युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत

मुझे खुद ही

मुझे जरा खुद ही खुद से दूर होने दो
शिवम अन्तापुरिया

कृतियों रचनाओं में तेरा नाम लिखता हूँ,
जरा सा हो भले ही पैगाम तेरा जिक्र करता हूँ

शिवम अन्तापुरिया

"कृतियों और रचनाओं में अक्सर तेरा नाम लिखता हूँ,...हाँ मैं कुछ इस तरह से तेरे नाम अपना पैगाम लिखता हूँ !"  -@शिवम अन्तापुरिया

शान तिरंगा

"शान तिरंगा"

तिरंगा हमारी शान भी है
    तिरंगा हमारी आन भी है

मरने मिटने का मुझे गम नहीं है
हजारों शिलाओं से कम नहीं हैं
   बाज़ी हारे या जीत जाएं
अपने कर्तव्य से हम हटते नहीं हैं

तिरंगा हमारी शान भी है
    तिरंगा हमारी आन भी है

हजारों दुश्मनों की महफ़िल भरी है
हमारी कुब्बत अभी भी अकेली खड़ी है
गिरे हाथ दुश्मनी को कभी भी न आँको
भले दुश्मनों के सिर पैरों में पड़े हों

तिरंगा हमारी शान भी है
    तिरंगा हमारी आन भी है
      
      - शिवम अन्तापुरिया

Friday, August 2, 2019

श्याम बनू तेरा

"श्याम बनू तेरा"

तू राधा बन मेरी,
मैं श्याम बनू तेरा
तुम प्रेम के शब्दों में,
इतिहास बनो मेरा

  वो बन्शी का बज़ना
दिल का भी मचल उठना
मैं काॅल करूँ तुमको
तुम फ़ोन बनो मेरा

मेरे दिल की धड़कन को
तेरा दिल दिल ही जानेगा
  मैं करता हूँ बसर कैसे
    ये तू भी न मानेगा

_...शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश

Thursday, August 1, 2019

सोचनीय पीड़ा

"सोचनीय पीड़ा"
हवा खुद ही उड़ रही हो
मोड़ खुद ही मोड़ खाती हो
पानी खुद में डूबने लगा हो
नदी खुद ही बही जाती हो
आग खुद ही जली जाती हो
गर्मी खुद ही तपती जाती हो
सर्दी को सर्दी महसूस होती हो

      ये सोचनीय है
          काश
इंशान को खुद में
इंशान दिखता हो
   स्त्री को खुद में
    स्त्री दिखती हो
शैतान को खुद में
शैतान दिखता हो
    असत्य को खुद में
      असत्य दिखता हो
धर्म करने वाले के हृदय में
मानव के प्रति प्रेम बहता हो

दुनियाँ की तरफ उँगली
उठाने वाला व्यक्ति
गर कभी खुद में
झाँककर देखता हो

  तो फिर किसी को किसी की
गलतियां बताने की जरूरत न हो

~ शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश