मैं अपने खूब सूरत लब्ज़ से तेरी अदा लिख दूँ
मोहब्बत इश्क का कर्ज़ा है जिसको मैं अदा कर दूँ
शिवम अन्तापुरिया
बदलने की क्षमता ही
बुद्धिमत्ता का माप है
देखकर तेवर उसका
चढ़ जाता मुझे ताप है
आँखो से आँखो मिलने से
नुनखराहट ने जन्म क्या लिया
उसमें ऐसा बदलाव आया कि
तब से जप रहा वो
इश्क का ही जाप है
शिवम अन्तापुरिया
No comments:
Post a Comment