"शान तिरंगा"
तिरंगा हमारी शान भी है
तिरंगा हमारी आन भी है
मरने मिटने का मुझे गम नहीं है
हजारों शिलाओं से कम नहीं हैं
बाज़ी हारे या जीत जाएं
अपने कर्तव्य से हम हटते नहीं हैं
तिरंगा हमारी शान भी है
तिरंगा हमारी आन भी है
हजारों दुश्मनों की महफ़िल भरी है
हमारी कुब्बत अभी भी अकेली खड़ी है
गिरे हाथ दुश्मनी को कभी भी न आँको
भले दुश्मनों के सिर पैरों में पड़े हों
तिरंगा हमारी शान भी है
तिरंगा हमारी आन भी है
- शिवम अन्तापुरिया
No comments:
Post a Comment