"जीवन की नौका"
ये जिंदगी है
फ़ूल,बेल,लताओ
की तरह
लेने हिलोरे है लगती
बहती हवाओ के सहारे
गम और खुशियो
के मोती पिरोकर
गले में माला
डाल देती है हमारे
अन्तता तक जीवन
में खुशियो के लिए
दौड़ हम करते रहे
खुद ही खुद से
लड़ झगड़ कर
जीवन की नौका
में विहार हम
करते रहे
क्योंकि
बहुत चलकर
देख सुनकर
जिंदगी के साथ
अकेले के अकेले
ही रहे,
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत
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