" गज़ल पेश है"
इश्क ही तो मोहब्बत का ईमान है,
संग तेरे बिताई बस यही शाम है,
रटता रहूँगा तेरा नाम ही मैं
लगता है हमेशा वो रहता पिए जाम है
रात को चैन से भी वो सोयेगी कैसे
वो रहती चाहत से मेरी परेशान है
साथ उसने मेरा खैर छोड़ा नहीं
याद बनकरके तन्हा रुलाती रही
चाहत से तेरी वो परेशान है...
मोहब्बत में तेरे कोई कुर्बान है...
सुहाना है मौसम गुज़र जायेगा,
चाँद से चाँदनी भी बिखर जाएगा,
आज बैठे हैं वो मुझको रुलाने के बाद
दिल में लगा है मेरे आज धक्का
उनके मुस्कराने के बाद
शिवम यादव
"अन्तापुरिया"
+91 9454434161
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