"तिरंगा थमाकर कश्मीर को"
कर गए हैं तुम्हारे हवाले
देश की लगाम को ...
मत भूलो उनकी शौर्य गाथा
जिन्होंने सींचा है अपने
खून से आजादी को...
लड़ते गए बहाते गए
रण में अपने खून को
देश की रक्षा के खातिर
तड़पता छोड़ गए परिवार को
कर रहा मैं खुद नमन हूँ
ऐसे उनके त्याग को
पत्थर सीना पर वो रखकर
लड़ रहे थे शान से
काम आयी वो भी शहादत
आखिर तिरंगा दे गए कश्मीर को
लिखते न थकती मेरी कलम है
शहादतों के शौर्य को
अभी तक शायद स्वतंत्रत
ही था मेरा भारत
आज अखण्ड व आजाद हुआ है
तिरंगा थमाकर कश्मीर को
युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश
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