Wednesday, July 27, 2022

प्रेम की भाषा नहीं

_मान लो आँखों में मेरी है प्रेम की भाषा नहीं_ 
 _है मगर दिल में जो मेरे उस देश की परिभाषा नहीं_ 
 _तुम-तुम -तुम सब प्रेम पर मरकर प्रेम को परिभाषित करो_ 
 _है मगर मेरी गुलामी की यहाँ आदत नहीं_ 

 _शिवम यादव "अन्तापुरिया"_

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