छिड़ गई बहस अब बंद नहीं होने वाली ।
सेना भारत की नहीं धैर्य खोने वाली ।
अब पहले जैसी कोई भूल नहीं होगी ।
कोई भी रेखा अब प्रतिकूल नहीं होगी ।
यह धरा कभी भी रिक्त हुयी न वीरों से ।
हमने हरदम युद्ध लड़े तदबीरों से ।
कश्मीर हमारा है हम छोड़ नहीं सकते ।
जो व्यूह रचे हैं क्या हम तोड़ नहीं सकते ।
- शिवम अन्तापुरिया
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