"गज़ल"
इश्क में थी मेरी कोई गलती नहीं,
मेरी यादो के तीरो से वो घायल हुई,
खामखाँ इश्क में मेरा बदनाम होना,
ऐसी थी मेरी इनायत नहीं,
तेरा रोज़ छत पर,ये चढ़ना-उतरना
तेरे इश्क की है कहानी बनी,
इश्क में तेरे बिन मुझको जीना नहीं
चैन आए मुझको या मिले ही नहीं
दिल की दीवारों से हूँ मैं टकराया अभी
परिणाम प्रतिकूल हो या अनुकूल हो
ऐसे परिणामों से हूँ मैं डरता नहीं
इश्क में शाम सुबह हमने देखी नहीं
इश्क में हमसे बड़ा कोई बेपरवाह नहीं
रात भर चैन से मुझको सो लेने दो
सुबह उठते ही मैसेज कर लेने दो
शिवम अन्तापुरिया
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