Saturday, September 14, 2019

दिल ही क्यों


कवि के नाते कविताएं लिखता हूँ
शायर के नाते शायरी लिखता हूँ
और हाँ
लेखक के नाते डायरी लिखता हूँ

मुझे अब बहुत दूर जाना
वहां कुछ करके आना है

गाँव ही मेरा घर है
गाँव ही मेरा जिला है
गाँव ही मेरा प्रदेश है
गाँव ही मेरा देश है
यहाँ तक की मेरा गाँव ही मेरे लिए विदेश है

अपने व हमारे शरीर में बहुत सारे महत्व पूर्ण अंग हैं फ़िर भी प्रेम में लोग दिल से ही क्यों चाहते हैं
जरा फ़ेफ़डे से भी चाह लिया करो
कोई भी उत्तर दे सकता है

मुझे न तेरी फ़िकर
उसे न मेरी फ़िकर
बस हर रोज़ करते ही रहो जिकर

©®शिवम अन्तापुरिया

तेरी चाहत को बड़ी गहरी खदानो में पाया,
हुआ कितना नफ़ा और नुकसान न जाना,

शिवम अन्तापुरिया

".नज़्म."
इश्क में खामियाँ उसके पाई नहीं...
बीच में मेरे क्यों दूरियाँ
हैं बनीं...
जिंदगी के बिना चैन थम जाएगा,
नींद बिन साथ सोए है आती नहीं...

शिवम अन्तापुरिया

वो घूम रहा है प्रेम पत्र का समर्पण हाथों में लिए
दुश्मन रुपी घूम रहे हैं उसके पीछे हाथों में तलवार लिए

शिवम अन्तापुरिया

आज फूल खिल रहे है
    हम  कवियों के लिए
हिन्दी हैं हम कवि
   हिन्दी के लिए

कवि शिवम यादव

किसी के दिल की मायूसी हमारे साथ रहती है
वो दिनभर तो हँसती है
शाम को उदास रहती है

अब तक तो सब कुछ ठीक था
  तेरे प्यार में रिचार्ज को करना
अब तुझे हो जायेगा मुश्किल
   मेरे चालान का भरना
   
देश हमारा धरती अपनी
हम धरती के लाल
कभी न झुकेगा हिन्दुस्तान
कभी न झुकेगा हिन्दुस्तान...

मोहब्बत के सफ़र में हम
तुम्हें यूँ मिल ही जाते हैं
सफ़र अन्ज़ाम तक पहुँचे
यही बस गुनगुनाते हैं
हमारा हाल क्या है यारों
ये मुझसे न तुम पूछो
मोहब्बत से सज़ी महफ़िल में
वो नफ़रत दिखाते हैं

कोई अल्फ़ाज़ में मेरे खुशी के गीत गाता है
चलो हम दूर रहते हैं कोई तो मुस्कुराता है
यहाँ की महफ़िलो में हम अकेले शख्स हैं ऐसे, जो गमों के ज़ाम पीकरके खुशी के गीत गाता है

मेरी यादें बचा के रखना
मेरी चाहत सज़ा के रखना
अब मैं जा रहा हूँ
अपने आँशू छुपा के रखना

भाई संग मन मुदित भयो
   खेलत खेलत न तंग भयो
      छोड़ मोय जब दूर गयो
          दिल मेरो व्याकुल है भयो

  शिवम अन्तापुरिया

पुराने सिस्टमों से हम
लड़ते-जूझते हुए आए
विरासत में मिली आजादी
को सँभालते हुए आए
किसी का दाँव भारी था
किसी का पेंच भारी था
सभी के दाँव पेंचों से
आखिर हम बचते हुए आए

भारत की मिट्टी ही
बनेगी अब मेरा चंदन
हम हैं देश के रखवाले
  करते हैं तुम्हें वंदन
माँ भारती की रक्षा में
आड़े सियासत अगर आई
तो हम तोड़ कर रख देंगे
सारे चक्रव्यूह के भी बंधन

जिन्दगी अब तुम्हारी हम ही हैं सनम
रूठ करके भी ऐसे न जाओ सनम
याद कर कर के खूब रोओगे सनम
जब हम जीवित धरा पर न होंगे शिवम

ये मोहब्बत शिवम तेरे काबिल नहीं...
लोग करते हैं सज़दा होते शामिल नहीं...

नज्म़
इश्क से वो मोहब्बत करने लगा
प्यार की राह में वो तो पलता रहा
   देखकर प्यार के रंग-रूप
         बदलते हुए...
खुद ही खुद से दूर वो तो जाने लगा
अब मोहब्ब्त में हम यूँ बताएं भी क्या
चाह दर चाह दर वो बदलता गया

राह एक ओर थी मेरे अरमानों की
दूसरी ओर वो पानी करता गयाΔ

मैं लिखने वाला था
बहुत कुछ याद में तेरी
मैं भूल ही गया सब
        कुछ याद में तेरी

ऐ समस्या तू भी देख ले लगकरके मेरे गले,
समझ पायेगी तू भी कैसा लगता है मेरे गले,

हरारतों और शरारतों से मेरा तो नाता रहा
मगर इन सबको मैं भुलाता रहा
मैं दुख दर्दो को सज़ाता रहा
दुनियां ने जो गम दिए भुलाता रहा

न तुम मिले
न हम मिले
जलती आग में
धुआँ उठता रहा

   मैं अपने खूब सूरत लब्ज़ से तेरी अदा लिख दूँ
मोहब्बत इश्क का कर्ज़ा है जिसको मैं अदा कर दूँ

दिल की उम्मीद से ख्वाब कमजोर थे...
   देखते वो रहे हम तो बेहोश थे...

शिवम अन्तापुरिया

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