Tuesday, September 10, 2019

पार होती हदें

"पार होती हदें"

जिसका खाना खाने में
  कलेज़ा दुख रहा हो
सोचो वो अन्दर ही अन्दर
   कितना रोया होगा,

जिस पुत्र को उसका ही
     पिता मर जाने की
सलाह दे चुका हो और वो
   अभी तक जी रहा हो
सोचो उसका हाल कैसा होगा,

जो पुत्र पिता की तेल मालिश
करते-करते पसीने से नहा
चुका हो सोचो उसका
   परिणाम कैसा होगा,

वो कैसा पुत्र है जिसे
अपने आप को प्रयोग
करने तक का अधिकार
न हो और दूसरों के काम
और मदद के लिए सदा
तत्पर्य हो सोचो उसका
साहस कैसा होगा,

जो कभी पिता को लौटकर
जवाब न देना चाहता हो
उसे कठिन यातनाओं के
साथ पाला जा रहा हो
सोचो उस पर क्या बीत
रहा होगा,
वो इतनी यातना भरा
जीवन जी रहा है कि
उसकी हैसियत घर में
नौकर से भी बदतर है
सोचो उसके दिल पर
कितनी आवाजों का
बोझ होगा,
कितनी और हदें पार होगीं

   - शिवम अन्तापुरिया

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