Tuesday, September 10, 2019

शिवम अन्तापुरिया की शायरी

"शिवम अन्तापुरिया की शायरी"

इश्क में शाम ये भी गुज़र जायेगी
चलते-चलते ये उम्रें भी ढ़ल जाएँगीं
साथ तेरा मिले या मिले न मुझे
मेरी चाहत में एक दिन तू बिखर जाएगी

हुश्न की दीवार से वो तो टकरा गई
चाँदनी चाँद से भी है शर्मा गई
मज़हबी लोग भी मोहब्बत को
करने लगे
तेरी मोहब्बत ही मज़हब पर
असर कर गई

उसे एक तस्वीर दिखी होगी,जिसे वो पहचानती होगी,
मगर कुछ(बेवफ़ाई)याद करके वो
अनदेखा सा कर गई होगी
"बस वही...मेरी प्रेमिका होगी"

गलतियों से मुझे सीख मिलती गई...
जिन्दगी कोरे पन्नों पर लिखती गई...

जो शक्स तुम्हारी हर बात का अदब मान कर आज्ञा का पालन कर रहा हो
तो उसके साथ बेअदब की हदे आप भी पार न करें

जिन लोगों को मेरी जरूरत नहीं...
उनसे मिलने की मेरी भी आदत नहीं...
गुज़र हूँ रहा मैं कठिन दौर से...
श्वांस थमते-थमते है थमती नहीं...

कोई नफ़रत के अंदाजो में हमको प्यार करता है...
क्योंकि मेरे और उसके परिवार के बीच तनाव रहता है...

भारत माँ के माथे पर  हम कोई दाग नहीं आने देंगे

जो आतन्की बनना चाहेंगे शूली पर उन्हें चढा देंगे

- शिवम अन्तापुरिया
     उत्तर प्रदेश

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