"न पता था"
ये क्या प्यार में था
सही और गलत था
नज़रे मिली वो
तुम्हारा हुआ था
प्यार की राह में उसे न
दिन-रात का पता था
चल दिया है किधर वो
न इस राह का पता था
न जात का पता था
न पात का पता था
कब हुए एक दूसरे के
न इस बात का पता था
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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