Wednesday, November 6, 2019

प्यार की भूमि वर्षों से सूखी पड़ी..

प्यार की भूमि वर्षों से सूखी पड़ी...
फसलें उगती नहीं भूमि बंजर पड़ी...
प्यार में थी तेरे उऱर्वरा की कमी...
फिर क्यों कहते हो खेती से उन्नत नहीं 


पल भर ही मैं लिखता हूँ...
कुछ ऐसी मेरी 
कहानी है...
आँख उठाकर देखो तुम...
तो दर्द से सजी कहानी है... 

शिवम अन्तापुरिया

अधूरा इश्क है तेरा 
हमारा नाम लो चाहें
मैं तुझसे हार करके भी 
तुझको हार पहनाऊँ

कोई चाहत में मुझको 
खोजकरके 
गुम हो जाता है 
मैं हूँ प्रेम का तिनका 
प्रेम में बहता जाता हूँ..


इश्क के हिस्से में उनके हिस्से बनें 
आजकल प्यार के मेरे किस्से बनें 
छोड़कर मुझको कैसे जाओगे सनम
प्यार के हम तुम्हारे सितारे बनें



लोग अक्सर वहाँ,पर छोड़ देते हैं।
सारे रास्ते जहाँ,से खतम होते हैं।।
मन्ज़िल अपनी चलने कोई और नहीं आयेगा 
इस दुनियां में गिराने वाले बहुत हैं
उठाने कोई नहीं आयेगा 


प्यार की भूमि वर्षों से सूखी पड़ी...
फसलें उगती नहीं भूमि बंजर पड़ी...
प्यार में थी तेरे उऱर्वरा की कमी...
फिर क्यों कहते हो खेती से उन्नत नहीं 

शिवम अन्तापुरिया

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