कुछ पल बीते
कुछ लब बीते
बीत गई अब
वो सारी जीतें
बीती रात आज
फ़िर वो थी
खिल गए वो
जैसे कमल दल थे
उनके भी चेहरे
आ खिल गए
जिनके माथे पर
बनी सिलवटें थी
खुशहाल माहौल
था जब घर में
तब उसने दस्तक दी
स्वागत के खातिर
उसके न्योछावर सारे
कमल दल थे
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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