कट-कट-कट-कट
बज़ते दाँत
करने न देते हैं बात
ये तो है
भाई सर्दी की बात
अब तो हैं सर्दी के राज़
इनसे लड़ने की न
करना बात
कहीं मचा न दे ये उत्पात
कहीं कोहरा का है बवाल
कहीं है जनजीवन बेहाल
गाँव-शहर के गलियारों में
चलती बस सर्दी की बात
ऊनी और मखमली कपड़े
देते हैं सर्दी को दाद
भैया ये तो है सर्दी की बात
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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