Friday, November 8, 2019

बदले नियम

"बदले नियम"
उम्र बढ़ती गई और बदल गए नियम
भाई भाई न समझे ये हैं नियम
था जमाना कि एक साथ खाते थे हम 
सोच में अब तो सबके जहर घुल गया 
तन्हा-तन्हा से अब तो रहते हैं हम 
याद उनको आती नहीं या सताती नहीं 
ये सोचकर है मुझे नींद आती नहीं 
वो जिंदगी के जख्म बन चुके हैं अब 
नासूर बनते उन्हें देख सकते नहीं हम 


शिवम अन्तापुरिया

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