"राह कहाँ छोड़ी है"
आज छोटी उड़ाने गगन चूम लें
मिलकरके ऐसा एक संकल्प लें
जीत मिलती सदा उन्हीं को यहाँ
जो अपने हौंसलों को दृढ़ कर लें
लोग कहते हैं कर पाएगा ये क्या
अपने जज्बातों को दिखा दो यहाँ
भरा है क्या मेरे दिल में जुनूँन
सफलता इन्हें भी दिखा दो यहाँ
अभी काम व पहचान छोटी है
शोहरत की गली थोड़ी छोड़ी है
चलते जाएँगे बढ़ने की राह में
सफलता की राह कहाँ छोड़ी है
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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