Friday, November 8, 2019

सुर्ख आते रहे

सुर्ख आते रहे, सुर्ख जाते रहे 
हम जहाँ थे वहीं,मुस्कुराते रहे 

©® शिवम अन्तापुरिया
ख्वाब हैवान थे या नशेवान थे 
जिन्दगी के सबब से परेशान थे 
देखकर हाल उनका तो ऐसा लगे 
वो तो इन्शानियत के सैतान थे 

शिवम अन्तापुरियाख्वाब हैवान थे या नशेवान थे 
जिन्दगी के सबब से परेशान थे 
देखकर हाल उनका तो ऐसा लगे 
वो तो इन्शानियत के सैतान थे 

शिवम अन्तापुरियानौका मध्य धार में
और उसपार तुम हो
मिलन है अधूरा
कैसे मिलन हो

भंवर बीच फंस गई
है कस्ती हमारी

कोई न खेवाईया
आसरा अब तुम्हीं हो

शिवम अंतापुरिया

No comments:

Post a Comment