Thursday, November 21, 2019

खत्म संकल्प-प्रतीक्षा

"खत्म संकल्प-प्रतीक्षा"

कब तक भारत की माताएँ 
पीढाओं को सहती जाएंगी 
होते उनपर अनाचारों को 
अनदेखा वो करती जाएंगी 

बहुत हुए संकल्प-प्रतीक्षा 
अब वो न रुकने वाली हैं
ईटों के जवाब अब वो 
पत्थर से देने वाली हैं 

ये भरत भूमि है भारत की 
जो नारी शक्ति कहलाती है 
हिल जाते हैं पैर सभी के 
जब वो लक्ष्मी, अवन्ती,
अहिल्या बनकर धरती 
  पर अपना साहस 
      दिखलाती हैं 

     रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
    उत्तर प्रदेश

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