Saturday, November 16, 2019

उठे जो हाथ हैं

"उठे जो हाथ हैं"

पुरानी परम्परा को 
जिन्दा रखना मेरा 
    रिवाज़ है 
खुशियों का इज़हार 
करना होता नेग है 

रिश्तों को मजबूत 
  अगर रखना है 
तो लोक रिवाज़ को 
जीवित रखना है 

किसी की मदद को 
  उठे जो हाथ हैं 
उन्हीं को प्यार से नाम 
 देते हम व्यवहार हैं 

     रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
    उत्तर प्रदेश

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