माँ-बाप के अपने अहसानों
को भुला तुम यू कैसे सकोगे
पाला है जिसने खुद जागकरके
उसको तुम कैसे रुला सकोगे
है श्राध्द में पानी देना फर्ज़ तेरा
फर्ज़ से कैसे मुकर सकोगे
पानी से बुझती है प्यास उनकी
प्यासा उनको कैसे रखोगे
पूर्वजों की मर्यादाओं का
सम्मान तुम्हारे हाथ में है
उम्मीदें हैं उनको तुम्हारी
पूरी उनको तुम्हीं करोगे
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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