बदल गया है जमाना बदलने अब रंग प्रकृति भी लगी...
शिवम अन्तापुरिया
कोई खबरो में मुझे लिख दे
कोई लफ़्जो में तुम्हें बक दे
इज़ाज़त सबकी लेता देता हूँ
जरा सा रहम खुदा भी कर दे
करो आज इतनी न तौहीन मेरी...
किसी दिन बनेगे हम जरूरत तुम्हारी...
यही मुफ़लशी गर रही रोज़ चलती...
तो कोई रोज़ तेरी हम इज़ाज़त बनेगे...
©®शिवम अन्तापुरिया
जहाँ बबूल उगे हों उसी को जंगल कहा जाता है...
बबूल न उगे हों तो कौन जंगल कहता है...
©®
शिवम अन्तापुरिया
कलम को न छुआ हमने बहुत कुछ लिखने वाला हूँ...
तुम्हारे प्यार में बह कर
किनारे लगने वाला हूँ...
©®
शिवम अन्तापुरिया
है अब आज़ाद वतन आज़ाद
तेरे ही कन्धों से
अब देश को नहीं गुलाम होने देंगे
गद्दार जयचंद जैसी चालों से
©®
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत
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