"पूछता सैनिक"
भारत वाले पूँछ रहे हैं
इन हुकूमत के दरवारों से,
कब तक माँ न रोकेगी...
बेटों को सरहद पर जाने से...
जान गवाँकर मिला क्या उनको,
मिट्टी में मिल जाने से...
शौर्य पुरुष भी नहीं कहा है
दिल्ली के दरबारों ने...
घर अपना सूना कर डाला,
वीर सपूतों लालों ने...
माँ-बहने रोती हैं बिलखती
बीते दिन की बातों में...
सर्दी-गर्मी कुछ न देखें
वो भारत माँ को जिताने में...
जीतते जीतते खुद हार गया वो
अपने ही अधिकारों से...
भारत वाले पूँछ रहे हैं
इन हुकूमत के दरवारों से,
युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत
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