"खबर न मुझे"
राहों का मन्ज़र हो
सफ़र हो सुहाना
जिन राहों पर
उसे हो बस
चलते जाना...
यहाँ से वहाँ तक
न खबर हो हमारी
तेरा साथ छूटा जैसे
वो वफ़ा हो हमारी...
कही जिंदगी का
सिलसिला रुकने न पाए
खबर है मुझको
कहाँ जिंदगी लिए ये जाए...
युवा कवि /लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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