Thursday, July 11, 2019

लगा मैं हवा हूँ

"लगा मैं हवा हूँ"

लिखूँ मौसम की क्या ताकत
  तेरे कदमों में लाने को
   मुशाफ़िर बन चुका हूँ मैं
     तेरी चाहत को पाने को...

बना हूँ सिरफ़िरा खुद मैं
अभी आज़ाद बनने को
लगा मैं हूँ हवा की बारिश
खुद को भिगाने को...

  यहाँ की भीड़ बस्ती को
मैं हवा का झोंका लगता हूँ
यहाँ की ख्वाब खामोशी के
बदले ज़रा सा प्यार दो मुझको...

युवा कवि /लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश

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