Thursday, July 18, 2019

किसी का साथ बनकरके मेरा आराध्य बनना तुम

कविता
   "आराध्य बनना" 

किसी का साथ बनकरके
मेरा आराध्य बनना तुम
हजारों खुशियो को लेकर
नया सफ़र शुरू करना तुम...

मन नयी क्रान्ति के क्रंदन से
खुद में ही उलझता जायेगा
    पास रहे गर तुम मेरे
    तो सारा सुख मिल जायेगा

  हाथ हवा का झोंका था
जो थमता नहीं वो चलता था
जो मस्त गगन के उन्मुक्त छोर
का सपने को सजाए बैठा था

किसी का साथ बनकरके
मेरा आराध्य बनना तुम...

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश भारत
+91 9454434161

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