Thursday, July 25, 2019

कृतियाँ

"मिट्टी गाँव की"

जिसमें सौंधी सौंधी उठती सुगंध
    वो मिट्टी है मेरी गाँव की...
टूटा ध्यान मेरा जिनके कलरव से
जिसमें पली है इनकी चहचहाहट
     वो मिट्टी है मेरी गाँव की...

पुराने बरगद की शाखा
जो अब छू रही है मिट्टी को
    वो मिट्टी है मेरी गाँव की

जो खिल रहे हैं देखकर
मुझको पीपल के कोपलें
      फिर नए
नयी नवेली रंगत भरी
वो मिट्टी है मेरी गाँव की

खुद उगी खुद को उगाया
साथ है मुझको जिलाया
शान को अपनी बढ़ाया
बलिदान से अवगत कराया
होते रहेंगे ऐसे वीर पैदा
      इस धरा पर
वो मिट्टी है मेरी गाँव की

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत
सम्पर्क +91 9454434161

गज़ल
"मुस्कुराता सावन"

मेरे ख्वाबो में तू आती |
तो मुस्कुरा देता सावन ||.•

    हर जगह हम होते
      गर तू होती उपवन
     मेरे पहलू से गुज़रे
तेरे हर दिन का पल पल

मेरे ख्वाबो में तू आती |
तो मुस्कुरा देता सावन ||

नीद मुझको आती ही कहाँ
तेरे बिन ही अब जीता हूँ यहाँ
    जब से तू हुई है
मेरी आँखों से ओझल...

मेरे ख्वाबो में तू आती |
तो मुस्कुरा देता सावन ||

जिन्दा दिल भी
  मरहम मांगता है
तेरे दिल का बस
साथ मांगता है
अब तेरे ही वियोग में
भटकता है वो वन-वन...

मेरे ख्वाबो में तू आती |
तो मुस्कुरा देता सावन ||

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश भारत
सम्पर्क +91 9454434161

"पार लाना है"

भँवर मध्यधार में अटकी
उसे अब पार लाना है
मिला है जो सिला हमको
उसे अब भूल जाना है...

घिरे बादल हैं चहुँओरी
घटा ने भी ली अंगड़ाई है
देख मौसम ये सुहाना
लगा हवा ने भी छोड़ी
अपनी चारपाई है...

जब मुश्किलें घेरने आई
तो डर ने भी दिल पर
थाप लगाई है
अकेला था अकेला हूँ
हिम्मत ने नैया को
खेकर पार लगाई है...

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश भारत

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