Sunday, January 27, 2019

शिवम यानी निर्मोही का सफर

इनका जन्म उत्तर प्रदेश में सन्1998 में हुआ
जीवन शुरुआत से ही संघर्षपूर्ण रहा,
लेकिन लेखन में रूचि होने के कारण इनको साहित्य से इतना स्नेह हुआ कि     
अपनी ग्रेजुएशन की शिक्षा की ओर इतना पुरजोर नहीं दिया जितना की साहित्य पर ध्यान देने लगे और निरंतर तीन साल की मेहनत से तीन किताबें लिखीं जिसमें बहुत आपाधापी के चलते एक काव्य संग्रह "राहों हवाओं में मन" 2018 में प्रकाशित हो पाया,
स्वंम की आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी,
जबकि इनका जन्म पुराने राजघराने में हुआ था
फिर भी सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे
ज्यादातर स्वयं पर ही निर्भर रहने की सोच रखते हैं।राजघराना किसानी परिवार से ताल्लुक होने चलते इनका लगाव खेती से भी रहा है पहली किताब में इन्होंने अपने आसपास और खेत खलिहानों के परिवेश को सुशोभित किया है। अपने संघर्ष पूर्ण जीवन की कई बातें अभी भी वो बताने से संकोच करते हैं
वैसे तो इनका पूरा नाम-
शिवम यादव रामप्रसाद सिंह "आशा"  अन्तापुरिया है
लेकिन अपने छोटे से 20 साल के जीवन में ही इन्होंने कई उपनाम पा लिए हैं
जिसका सीधा सा उद्देश्य है कि हर विधा में ये अलग -अलग नाम से जाने जा सकते हैं
जैसे
इन्होंने मोह का त्याग कर दिया है
जिससे "निर्मोही" भी कहते हैं
अपने पैतृक गाँव अन्तापुर के नाम से अपना उपनाम     "अन्तापुरिया"
से भी जाने जाते हैं
मेरे ख्याल से भविष्य में इन्हें कई उपनाम मिलने की संभावना है....
शिवम यादव अन्तापुरिया
"निर्मोही"

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