Tuesday, January 8, 2019

3 "इश्क है उसे"

91- उससे बिछङ करके हम
इश्क में रोज मरते हैं
और रोज जीते हैं,

92- आज फिर उससे मुलाकात हुई
       वो मेरी आँखों में
आँखें डाल कर न जाने
क्या कहना चाहती थी
  तब तक मैंने नजर ही फेर ली,

93- अब इश्क व्यापार सा
  हो गया है
जितना इन्वेस्ट करो
वही तुम्हारा हो गया है,

94- उसे इश्क है इश्क की
तामील होनी चाहिए
शिवम जो हैं इश्क के रोगी
उनकी खोज होनी चाहिए,

95- इस जिंदगी में सुकूँ में रहना
सीख लो
कौन किसका क्या है
इससे दूर रहना सीख लो

96- हम तो जीत कर भी हार मान लेंगे
जिस दिन वो मुझे अपना दीवाना मान लेंगे,

97- वो तन्हाइयों का सफर काटे नहीं कटता
इश्क क्या है वो समझाए भी नहीं समझता,

98- इश्कें तूने मेरे हजारों शिकार किए होंगे
अब तू भी बता दे मैंने तुझसे कितने इजहार किए होंगे,

99- कोई मिलने को रोकता है
कोई मिलकर के रोता है
प्रेमी की धङकन को तो बस
    प्रेमी समझता है,

100- उठा ले खंजर तू हाथों में और चला दे ऊपर
एक आवाज तक न निकलेगी मेरी
   आवाज बस निकलेगी खंजर की तेरी,

101- बे दौलत है वो तो क्या हुआ
चलो उसके दिल में इश्क का खजाना तो है,

102- आजकल इश्क को रेत का महल ही
समझो
वक्त बिगङते ही ये जमीं पर फैल जाते हैं,

103- तू है क्या दुनियाँ को क्या पता
ओ इश्क के मुशाफिर अपना नाम तो बता,

104- एक सलाह दूँ या मशविरा
तू कुछ भी कर मगर इश्क से तुझे दूर ही रखूँगा,

105- अपने इश्क को तू सर बाजार न कर
  मुझे बाजारू चीज समझकर सौदा न कर,

106- है लहू में उबाल तो करके दिखाऊँगा
    इश्क हो या दुश्मनी भरपूर निभाऊँगा,

107-    इश्क जितना प्रेम करता है
उससे कई गुना ज्यादा वो नफरत भी करता है,

108- जा तुझे अपनी नजरों से आजाद करता हूँ
मगर शर्त है तू भी मुझे अपने दिल से रिहा कर दे,

109- इश्क में वो क्या क्या सहेगा
         तू जहर देगा वो, वो भी पिएगा,

110- तू आज एक सच्चा फैसला सुना दे
            मुझे रूला दे या हँसा दे,

111- ओ मेरे प्यार का पंचनामा इस कदर न कर
इस सजा से बेहतर कि मुझे जिंदा ही जला दे,

112- मुझे मुझसे छीनने की कोशिश न कर
     अभी जिंदा हूँ काफिर मुझे मुर्दा न समझ,

113- इश्क में तेरी तरफदारी अच्छी नहीं
मुझे नफा हो या नुकसान इसका मुझे डर नहीं,

114- साहब!
इश्क है ये चुनाव नहीं, जो तू मुझे जनमत दिखाने आया है
हाँ तू खूबसूरत है मगर दिल नहीं,

115- तेरे प्यार का सूखा टूटा कहाँ
वर्षों से बारिश ने मुझको देखा कहाँ
    हम तो बेउम्मीद जीते रहे
जिंदगी ने मुझको परखा कहाँ,

116- तेरी इजाजत का मुझे नशा भी नहीं है
तू इश्क में करता क्या है इसका पता भी नहीं है,

117- साहब!
जब गरीबी जेब में दस्तक देती है
तब
मोहब्बत अपने आप आँखों से निकल जाती है,

118- हार से मुझे प्यार है नफरत नहीं
क्योंकि
मैं जिससे प्यार करता वो मेरे पास रहता नहीं,

119- तेरे गम में पिछले दिन याद आने लगे
जो बिन देखे नहीं रहते थे वो मुँह फेर कर जाने लगे,

120- गुनाह सह लेंगे जहर पी लेंगे
बिछङकर भी जीलेंगे
लेकिन कभी अब जीवन में
प्रेम का निमंत्रण नहीं लेंगे,

121- हम भी कभी खुशदिल हुआ करते थे
उसके प्रेम की राह पर क्या चले
उन खुश होंठो की मुस्कराहट न जाने कहाँ जा बसी,

122- मैं शायद इश्क माफिक नहीं
कम से कम तुम तो अच्छे से निभाओ,

123-जिस गली से हम एक बार गुजर जाते हैं
उससे दुबारा गुजरने की आदत नहीं मेरी,

124- ऐसा नहीं है कि तुम न रहो तो तुमको
भूल जाएँगे
हम तो दफन हो जाएँगे
मगर तस्वीरें सलामत रख जाएँगे,

125- तेरी खामोशी से घायल भी पागल हो जाते हैं
तेरा नशा ही ऐसा है बिन पिए भी पिए नजर आते हैं,

126- जरा सी बात पर तेरा मचलना भी ठीक लगता है
इजहारे इश्क में उसको चाहना भी ठीक लगता है

127- मुझे सुकूनियत का चैन कहाँ मिलता
जब तक तू मूझे अपने नाम नहीं करता,

128- जो इंतजार नहीं याद करते हैं
हम इस दुनियाँ में उसी को सच्चा प्यार कहते हैं,

129- जिसमें मन से मन तक ही प्यार का इजहार हो
उसी को सच्चे प्यार का नाम दो,

130- टूटा हुआ शीशा गहरे जख्म दे जाता है
तो नफरत करते है
बिन टूटा शीशा कितना सुन्दर लगता है,
वो नफरत मोहब्बत दोनों को रखता है,

131- तू मिला तो मूझे दरिया का किनारा मिल गया
मकानों आसमान को जमीं का सहारा मिल गया,

132- तेरे साथ की उम्मीदों का सिलसिला रहेगा
वो रहे न रहे उसका फरमान जारी रहेगा,

133- साहब!
बेवफाई तो लङकियों ने करना शुरू किया था
लङके तो इसका नाम न जानते थे,

134- ये तेरी ही कोशिश है
जो बना तू अजीज आशिक है,

135- जिंदगी का सफर अकेले भी अच्छा नहीं लगता
कोई बिछङ जाए तब भी अच्छा नहीं लगता
जिंदगी में जो दखल डाले वो साथ भी अच्छा नहीं लगता,

~ शिवम अन्तापुरिया शायर

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