है रंगों में लहू तो बहाकर दिखाएँगे
अपने देश के लिए जिएँगे
और लङते लङते मर भी जाएँगे,
कुछ हो न हो बस नाम कमाने
की चाहत है
आज मौत आए या कल आए
तमन्ना एक ही है
कफन बस तिरंगा का ही ओढ़कर जाएँगे,
है लहू में गर्मी उसकी
तपन भी दिखाएँगे
दुश्मनों की औकात क्या है
उनको वो भी दिखाएँगे,
देश के जो हैं गद्दार उन्हें
खुद्दारी सिखाएँगे
उनके लिए ऐसे शब्द लिखेंगे
कि वो पढ़ते ही मर जाएँगे,
ओज से दहकते अंगार सा लेख
शिवम यादव "अन्तापुरिया" का
9454434161
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