भारत की शान तुम्हीं से है
भारत की आन तुम्हीं से है
तुम भारत माँ के रखवाले हो
भारत को अभिमान तुम्हीं से है
तुम वीर बहादुर रणबांकुणे हो
तुम भारत के रथ के सारथी हो
तुम लङने मरने से न डरते हो
क्योंकि तुम भरतभूमि के वासी हो
भारत की जान तुम्हीं में है
भारत का स्वाभिमान,सद्भाव तुम्हीं में है
भारत का शीश (तिरंगा) तुम पर है
तुम तिरंगा में ही बसते हो
अन्तापुरिया ये कहता है
आसमान में सदा तिरंगा लहराता रहे
क्योंकि तुम तिरंगा पर जान छिङकते हो
ओज/हालात रस का कवि
रचनाकार-
शिवम यादव "अन्तापुरिया"
9454434161
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