भरतभूमि है जन्मभूमि तो डरना क्या
बस आगे बढ़ते जाना है
वीर शहीदों की शहादतों को सबको याद दिलाना है
याद करो उस वीरांगना को
जिसका नाम रानी अवंतीबाई था
धूल चाट दी थी दुश्मनों को
दुश्मन दल में मचा त्राही त्राही था
याद करो उस शहीद भगत को
जिसका अंतिम निर्णय भी
हँसते-हँसते फाँसी था
जिसकी महज एक गरजे में
दुश्मन दल हिजङा सा बन जाता था
ये कर्म भूमि है युद्ध भूमि
इससे विचलित होना न
कितने भी तूफाँ तुमसे टकराएँ
सरहद से तुम हटना न
नाज देश को सिर्फ तुम पर है
इसकी आन बनाए रखना तुम
हार जीत तो सिर्फ एक यात्रा है
लेकिन अपने दृढ़ को अटल ही
रखना तुम....
~ ओज/हालात रस का कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया
9454434161
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