Tuesday, January 22, 2019

" कस्तियाँ ख्वाबों की "

मेरे ख्वाबों की कस्तियाँ
     आती ही रहेंगी
वो मिलें न मिलें इश्क में कुछ हस्तियाँ
   खाक होती रहेंगी
इश्क के शहर में दर्द को भी
दवा का नाम दे दिया
इसी डर से मैंने जिंदगी से
    इश्क को बेदखल सा कर दिया,
कोरे-कोरे पन्नों पर लिखना तुमको
ही पङेगा
ये सवाल हैं सारी जिंदगी के
उत्तर गलत हो या सही
देना तुम्हें ही पङेगा,

No comments:

Post a Comment