Tuesday, October 15, 2019

बेचारा

"बेचारा"

मेरे हर ख्वाब को
उसने अपने दिल
में है पाला

करूँ क्या अब
इनायत मैं
अधूरा दिल
है बेचारा

सियासत के तूफ़ानों
में न देता कोई
है सहारा

चलो प्यार की राहें
देखें हम वो तड़पता
क्यों है बेचारा

कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
   उत्तर प्रदेश

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