"बेचारा"
मेरे हर ख्वाब को
उसने अपने दिल
में है पाला
करूँ क्या अब
इनायत मैं
अधूरा दिल
है बेचारा
सियासत के तूफ़ानों
में न देता कोई
है सहारा
चलो प्यार की राहें
देखें हम वो तड़पता
क्यों है बेचारा
कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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