Tuesday, October 29, 2019

पराए हो गए

हर थककर बैठ गए होंगे 
जब वो उससे मिले होंगे 



मेरी ये तो अल्हड़ जवानी नहीं है 
तेरी चाह की ये दीवानी नहीं है 
समझ आयेगा प्यार में तुझको जब तक 
भरी महफ़िल कहने के लायक वो कहानी नहीं है 


सभी की बातों को मैं 
सत्यता के घेरे में रखता हूँ 
कौन कितनी देर टिकते हैं 
बस ये देखता हूँ

उनके खट्टे-मीठे बोलो को हम सह लेते हैं 
मतलब ये नहीं कि हम उनको डरते हैं 
बस यही फ़र्क है उनकी मेरी शैली में 
क्योंकि हम तो अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं

हम तो उनके होके भी पराए हो गए 
खून के भी रिश्ते 
अब पराए हो गए 
लोग कहते हैं"""
कि अपने अपने अपने होते हैं 
अब यहाँ तो अपने भी गम के साए हो गए

शिवम अन्तापुरिया 

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