जब वो उससे मिले होंगे
मेरी ये तो अल्हड़ जवानी नहीं है
तेरी चाह की ये दीवानी नहीं है
समझ आयेगा प्यार में तुझको जब तक
भरी महफ़िल कहने के लायक वो कहानी नहीं है
सभी की बातों को मैं
सत्यता के घेरे में रखता हूँ
कौन कितनी देर टिकते हैं
बस ये देखता हूँ
उनके खट्टे-मीठे बोलो को हम सह लेते हैं
मतलब ये नहीं कि हम उनको डरते हैं
बस यही फ़र्क है उनकी मेरी शैली में
क्योंकि हम तो अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं
हम तो उनके होके भी पराए हो गए
खून के भी रिश्ते
अब पराए हो गए
लोग कहते हैं"""
कि अपने अपने अपने होते हैं
अब यहाँ तो अपने भी गम के साए हो गए
शिवम अन्तापुरिया
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