मुझे हल्के में लेने से, तुम्हारा फ़ायदा ही क्या
चलता रेत पर हूँ मैं, तुम्हें अन्दाज़ा है इसका क्या
शराफ़त से भरी महफ़िल में, रहना शौक है मेरा
वरना है दुनियां से, मुझे लेना ही देना क्या
किसी के प्यार के आँशू ,किसी के पाप के आँसू
बहते आँसुओं से है , तुमने जान पाया क्या
हमारी याद में जलकर,उसने खुद को राख कर डाला
मुझको न पता था कुछ, इसमें दोष मेरा क्या
हजारों की सज़ी महफ़िल में, मेरा कोई दुश्मन है
न मैंने खोज पाया है, उसमें दोष उसका क्या
मेरे दिल की चौखट पर, प्यार ने दस्तक दे डाली
मैंने गेट न खोला, इसमें उससे बुराई क्या
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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