तुम्हारी नजरों को हमने देखा
बदल तुम्हारी नियत रही है
हर खेत और खलिहानों
पर गाय माँ अब भटक रही है
हर शहर के चौराहे पर
जनता सवाल तुमसे कर
अब रही है
योगी जी
तुम्हारी नजरों को हमने देखा
बदल तुम्हारी नियत रही है
हमारे प्रदेश की भी ये इज़्ज़त
बेइज़्ज़त सी अब हो रही है
दैत्य,दानवों की क्षमताएँ
मानवता का हनन कर रही हैं
योगी जी
तुम्हारी नजरों को हमने देखा
बदल तुम्हारी नियत रही है
अपराधियों और अन्यायियों की
तादाद बढ़ती भी जा रही है
गर सच्चाई चौथा स्तम्भ कह दे
तो पुलिस उसका भी
एनकाउंर कर रही है
योगी जी
तुम्हारी नज़रो को हमने देखा
बदल तुम्हारी नियत रही है
शिवम अन्तापुरिया
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