Tuesday, October 15, 2019

कर्मभूमि

चलना तुम्हे है दुनियां तुम्हें चलाने नहीं आयेगी जब तक तुम उभरकर समाज से ऊपर नहीं आते और अपनी अलग पहचान नहीं बनाते

मनुष्य को अपने बारे में,
दुनियां के बारे में सोचने से कही ज्यादा अधिक सोचना चाहिए

कर्मभूमि और जन्मभूमि
जब मेरी हिन्दी ही है
इसलिए हर जज़्बातो में
मेरी आगे आती ही हिन्दी है

शिवम अन्तापुरिया

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