Thursday, October 31, 2019

नज्म

नज़्म 
"हम तो आज़ाद हैं"
  
हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैंं -2

बंदिशों से सदा उनकी लाचार हैं 
उनको लगता सदा हम तो बेकार हैं 
छोड़ दी हमने अब तलवार है
बन गई अब कलम मेरी पतवार है

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2

लिखते लिखते नहीं हाथ थकते मेरे 
देश पर मेरा लिखने का अधिकार है 

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2

देखकर लोग कहते हैं आवारा है 
 ये तो आवारा है -3, ये तो क्वाँरा है 
धड़कने उनके दिल की हैं बढ़ने लगीं 
फिर से कहने लगे वो तो बेचारा है
वो तो बेचारा है वो तो बेचारा है 

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2

नज़्म 
"हम तो आज़ाद हैं"
  
हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैंं -2

बंदिशों से सदा उनकी लाचार हैं 
उनको लगता सदा हम तो बेकार हैं 
छोड़ दी हमने जबसे तलवार है
बन गई अब कलम मेरी पतवार है

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2

लिखते लिखते नहीं हाथ थकते मेरे,
देश के मेरे हालत भी बर्बाद है,
मुझको लिखने का पूरा अधिकार है 

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2

देखकर लोग कहते हैं हमारा हमें
कई लोगों की नफरत ने मारा हमें,
हम बने हैं अभी तक जो सिरताज हैं,
हम तो आजाद हैं–2

उनको लगता अभी भी हम आवारा है 
 ये तो आवारा है -3, ये तो क्वाँरा है 
धड़कने उनके दिल की हैं बढ़ने लगीं 
फिर से कहने लगे वो तो बेचारा है
वो तो बेचारा है वो तो बेचारा है 

हम तो आज़ाद हैं हम तो आज़ाद हैं -2


~ शायर शिवम अन्तापुरिया


~ शायर शिवम अन्तापुरिया

कलम की पतवार हो

अपनी जिन्दगी में कलम को पतवार बनाओ या अब
हाथों में तलवार उठाओ 
फ़ैसला समझ कर ही करें 


अब दुनियाँ को सुधारने के लिए हाथों में तलवार नहीं 
हाथों में कलम की पतवार होनी चाहिए

शिवम अन्तापुरिया 

दिल के करीब

"दिल के करीब"

कुछ रिश्ते बहुत

 अजीब होते हैं 

जो दिल के बहुत ही 

करीब होते हैं 

कभी उनसे दूर 

नहीं रहा जा सकता 

साथ रहने वाले 

खुशनसीब होते हैं 



जिंदगी हमसफ़र बनकर 

यूँ ही निकल पड़ती है 

कोई साथ दे या न दे 

वो अकेले ही अपने 

लक्ष्य को भेद सकती है 



न सफर तय था 

न मंजिल पता थी

वो रिश्तों की डोरी 

    से बँधा था 

न इसकी खबर थी 



  रचयिता 

शिवम अन्तापुरिया 

     उत्तर प्रदेश

Tuesday, October 29, 2019

किस किस को सुनाए

किस किस को सुनाए ये दर्द अपने हम 
बेदर्द है जमाना जो ये ढाए है सितम 

 वो कायर नहीं जो पलट जाएंगे 
हम तो शायर हैं बात कह जाएंगे ...
जिंदगी है मेरी मौत से भी डरती नहीं 
सच के खातिर मौत से भी लड़ जाएंगे ...

-@OshayarShivam

मुझसे badmaashiya

लिखते गए अपनी खामोशियाँ 
लोग करते रहे मुझसे बदमाशियाँ

न जाने क्यों लोग मुझे बदनाम करने की कोशिसें व साजिशें रचा करते हैं 
मुझमे ऐसी गलती क्या है 
खुद ही खुद में खोजा करते हैं 

शिवम अन्तापुरिया

हिन्दी साहित्य अँचल मंच से शिवम अन्तापुरिया को सम्मानित किया गया

 हिन्दी साहित्य अँचल मंच  अररिया बिहार से आयोजित कवि सम्मेलन में शिवम अन्तापुरिया को 
"हिन्दी साहित्य अँचल"  सम्मान दिया गया २१/१०/२०१९ को 

पराए हो गए

हर थककर बैठ गए होंगे 
जब वो उससे मिले होंगे 



मेरी ये तो अल्हड़ जवानी नहीं है 
तेरी चाह की ये दीवानी नहीं है 
समझ आयेगा प्यार में तुझको जब तक 
भरी महफ़िल कहने के लायक वो कहानी नहीं है 


सभी की बातों को मैं 
सत्यता के घेरे में रखता हूँ 
कौन कितनी देर टिकते हैं 
बस ये देखता हूँ

उनके खट्टे-मीठे बोलो को हम सह लेते हैं 
मतलब ये नहीं कि हम उनको डरते हैं 
बस यही फ़र्क है उनकी मेरी शैली में 
क्योंकि हम तो अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं

हम तो उनके होके भी पराए हो गए 
खून के भी रिश्ते 
अब पराए हो गए 
लोग कहते हैं"""
कि अपने अपने अपने होते हैं 
अब यहाँ तो अपने भी गम के साए हो गए

शिवम अन्तापुरिया 

शिवम अन्तापुरिया साहित्यक लेफ़्टिनेन्ट अवार्ड से सम्मानित (मेरा पाँचवा सम्मान)

स्टोरी मिरर  महाराष्ट्र  मुम्बई  से साहित्य जगत में  लेखन के लिए  Literary Lieutenant से नवाज़ा गया है  
भारत से लेकर देश-विदेश के अखबारो में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं, कहानी, लेख और भारत की बात की जाए तो प्रतिदिन चार से पाँच राज्यों के अखबारों में इनकी रचनाओं स्थान दिया जाता है, विदेश में भी इनकी रचनाओं को वाही वाही मिल रही है जैसे माँ पर आधारित रचनाएँ "हिस्से में माँ", "खूब खेला है", मानव के जीवन पर "समस्याओं ने घेरा" इस रचना को दैनिक जागरण अखबार से लेकर भारत के सभी बड़े अखबारों में जगह दी गई और यहाँ तक कि विश्व का सबसे बड़ा काव्य संग्रह "बज्म ए हिंद" में भी प्रकाशित की गई है। 
सम्मानों की बात की जाए तो महा कवि के हाथों सम्मानित, कई कवि सम्मेलनों में साहित्यक सम्मान और मुम्बई महाराष्ट्र के स्टोरी मिरर ने "लेफ्टिनेंट साहित्यक"अवार्ड से नवाजा, हिन्दी साहित्य अँचल मंच अररिया से दो बार सम्मानित, मध्य प्रदेश सीहोर से सम्मानित, युवा साहित्य संगठन से सम्मानित 
शिवम अन्तापुरिया का एक काव्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है राजमंगल प्रकाशन से "राहों हवाओं में मन" 
Shivamantapuriya.blogspot.com पर इनको 
बिल्कुल मुफ़्त में पढ़ सकते हैं आप Twitter.com/oshayarshivam 

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YouTube.com/shivamantapuriya

लोग प्यार से प्यार करते हैं फ़िर मौत से क्यों डरते हैं

सही था गलत मैं गलत हो गया हूँ 
अब खुद ही खुद की जिंदगी से 
         अलग सा हो गया हूँ

लोग प्यार से प्यार करते हैं 
फ़िर मौत से क्यों डरते हैं

किसी की तपन और ठण्डक से
 जमता-पिघलता रहता हूँ 
ऐसा कब-तक (कमज़ोर) चलेगा (समाप्त)
ये देखता हूँ 

न जाने क्यों लोग मुझे
 बदनाम करने की 
कोशिसें व साजिशें रचा करते हैं 
मुझमे ऐसी गलती क्या है 
खुद ही खुद में खोजा करते हैं 

लिखते गए अपनी खामोशियाँ 
लोग करते रहे मुझसे बदमाशियाँ

शिवम अन्तापुरिया 

Sunday, October 27, 2019

दीपावली पर पूरे देश के अलग अलग अखबारो में प्रकाशित मेरी रचनाए

27/10/2019 दीपावली

एक दीप जलाओ ऐसा सारी
   दुनियाँ में फैले प्रकाश 
   भरत भूमि के दीपों से
जगमगा उठे पावन आकाश  

आपको भी 💐💐💐
  सुख,समृद्धि,वैभव से 
भरा रहे आपका परिवार 
सुख शान्ति से गुज़रे 
  दीपावली का त्योहार 

रोशन हो घर 
साफ़ हो मन 
निरोग हो तन 
सद्भाव और शांति 
के साथ मिलकर 
इस दीवाली को 
मनाएँ सब जन

शिवम अन्तापुरिया 

दीपावली 27/10/2019

"जीत का त्योहार"

दीप घर घर में जले 
फ़ैला चहुँ ओर उजियार 
हँस कर सब गले मिले 
ये है खुशियों का त्योहार 

राम-रावण युद्ध हुआ 
  बहुत तेज़ तर्रार 
श्री राम की जीत पर 
खुशियाँ बढ़ी अपार 

देश-परदेश से सब आ रहे 
अपने घरों में मनाने त्योहार 
एक निशानी है और भी ये 
बुराईयों पर अच्छाई की 
   जीत का त्योहार 

चलो मनाए हम सब मिलकर 
पावन खुशियों का त्योहार 

   कवि/लेखक 
शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश

राम राज लाने के चक्कर में

राम राज लाने के चक्कर में 
हम दैत्य व जंगल राज बना बैठे।
जो खुद को नहीं संभाल पाए 
हम उनको उत्तर प्रदेश थमा बैठे।।

कुछ आदते मानव को खराब बना देती हैं 
तो कुछ आदतें ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को महान बना देती हैं 
शिवम अन्तापुरिया

लेख

आपको भी 💐💐💐
  सुख,समृद्धि,वैभव से 
भरा रहे आपका परिवार 
सुख शान्ति से गुज़रे 
  दीपावली का त्योहार 

शिवम अन्तापुरियामुझपर बहुत दबाव रहता है 
जिंदगी का लगता रोज़ भाव रहता है 
किस किस किसके हो जाएं हम 
  साहब! चुनाव में तो हर नेता का 
        प्रभाव होता है 

~ शिवम अन्तापुरियारोशन हो घर 
साफ़ हो मन 
निरोग हो तन 
सद्भाव और शांति 
के साथ मिलकर 
इस दीवाली को 
मनाएँ सब जन

@OshayarShivamजारी है कोशिश अभी 
आगे बहुत बाकी है 
चलते जाना लक्ष्य है 
मन्ज़िल अभी बाकी है 

शिवम अन्तापुरिया

योगी जी

योगी जी 
तुम्हारी नजरों को हमने देखा 
बदल तुम्हारी नियत रही है

  हर खेत और खलिहानों 
पर गाय माँ अब भटक रही है 
हर शहर के चौराहे पर 
जनता सवाल तुमसे कर 
अब रही है 

योगी जी 
तुम्हारी नजरों को हमने देखा 
बदल तुम्हारी नियत रही है

हमारे प्रदेश की भी ये इज़्ज़त 
बेइज़्ज़त सी अब हो रही है 
दैत्य,दानवों की क्षमताएँ 
मानवता का हनन कर रही हैं 

योगी जी 
तुम्हारी नजरों को हमने देखा 
बदल तुम्हारी नियत रही है

अपराधियों और अन्यायियों की
  तादाद बढ़ती भी जा रही है 
गर सच्चाई चौथा स्तम्भ कह दे 
तो पुलिस उसका भी
एनकाउंर कर रही है 

योगी जी 
तुम्हारी नज़रो को हमने देखा 
बदल तुम्हारी नियत रही है

शिवम अन्तापुरिया

चलो

चलो हम सब आज मिलते हैं 
गम के दो-दो हाथ जड़ते हैं 
~ ©®शिवम अन्तापुरिया

राम राज के चक्कर में

राम राज लाने के चक्कर में 
हम दैत्य व जंगल राज बना बैठे।
जो खुद को नहीं संभाल पाए 
हम उनको उत्तर प्रदेश थमा बैठे।।

कुछ आदते मानव को खराब बना देती हैं 
तो कुछ आदतें ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को महान बना देती हैं 
शिवम अन्तापुरिया

देश हमारा भारत है 
सच कहना मेरी आदत है
देश में बढ़ते अत्याचारों से
योगी जी मुख मोड़ना 
    तुमपे लानत है 


 ~ शिवम अन्तापुरिया

रचाओ खूब तुम षड्यन्त्र,
  हम सारे काट जाएंगे ...
विरासत की लड़ाई को,
सफ़ल हम जीत जाएंगे ...
तुम पैतृक भूमि मेरी को, 
दबाना गर जो चाहोगे...
 हम खौलते लहू में अपने 
दफ़न तुमको करायेंगे ...

शिवम अन्तापुरिया

Thursday, October 24, 2019

शायरी 23/10/2019

सब लोग ही कच्ची दीवारों से 
निकल कर बाहर आए हैं 
   सभी के पुरखा कोई 
    फ़र्श पर थोड़ि पले हैं 

कुछ इश्क ज़ादे मेरे यारों को 
बेवफ़ाई के जख्म दिए बैठे हैं 
और हम... उन्हीं पर आश लगाए बैठे हैं 


आज मेरे यार ज़ाम के ऊपर 
ज़ाम के ऊपर ज़ाम पिए बैठे हैं 
और हम हैं कि उन्हीं अपनाए बैठे हैं 


चलो हम सब आज मिलते हैं 
गम के दो-दो हाथ जड़ते हैं 

जो खड़ी है कल से प्यार की राह में 
जरा उससे तो पूछिए 
किसके दिल में है घर बनाना जरा 
उससे तो पूछिए 


मै घङी की सुईयों की तरह चल तो नहीं सकता,
#क्योंकि मुझे रूकना पङ जाता है;*

काफ़िला गुज़र गया 
   कारवाँ निकल गया 
     हम भी कौन थे 
       दस घर के 
मेरा भी दिल भटक गया 


अब तो हर बात पर्सनल होने लगी 
पति को गैर की पुत्री पर्सनल. लगने लगी 


इश्क की छाँव में 
वो मोहब्बत है करने लगा... 
मिलकर उससे जिंदगी के फ़ैसले करने लगा... 

©®शिवम अन्तापुरिया

Friday, October 18, 2019

अमेरिका के अखबार में प्रकाशित

अमेरिका के अखबार में प्रकाशित मेरी रचना 
"आधार है गुरु"

दो कविताएँ 1-आहुति देकर, 2-सत्ता रुढी खानों में

"आहुति देकर"

हर हालात से हम गुज़रते रहे 
पुराने बिस्तरों पर हम सोते रहे 
चारपाई भी थी टूटी मेरी 
रात भर करवटें हम बदलते रहे

वो याद है शुष्क ठंण्ड थी रात में
खुले आसमान में हम लेटे रहे 
  तुम्हें पुकारा हजारों बार मैंने 
    और तुम चैन से सोते रहे 

       नज़दीकियाँ थी 
तुम्हारे-हमारे बीच बहुत सारी 
मगर मुश्किलों में साथ भी तुम 
  बीच राह में ही छोड़ते रहे 

तुम मुझसे प्रेम करते थे 
  या पाप करते रहे 
और हम सच समझकर 
खुद को प्रेम की ज्वाला में 
आहुति देकर जलाते रहे 

शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश

"सत्तारुढी खानों में"

देख लिया है मैैंने उसके 
   बेवशी के मन्ज़र को 
  नीर नहीं मिल पाता 
   उसको मज़बूर है 
     आँशू पीने को 

मंजिल पथ पर खड़ा हुआ है 
खुद को कुछ सिखलाने को 
लोग पैर अब खींच रहे हैं 
मिट्टी में दफ़न कराने को 

कैसे कैसे लोग पड़े हैं 
सत्तारुढी खानों में 
जिनमें जरा न रहम बचा है 
   ऊँची सीढ़ी पाने को
  
शिवम अन्तापुरिया 
     उत्तर प्रदेश

प्रेम की कविता

"प्रेम की रचना"

मुझे हल्के में लेने से, तुम्हारा फ़ायदा ही क्या 
चलता रेत पर हूँ मैं, तुम्हें अन्दाज़ा है इसका क्या 
शराफ़त से भरी महफ़िल में, रहना शौक है मेरा 
वरना है दुनियां से, मुझे लेना ही देना क्या 
किसी के प्यार के आँशू ,किसी के पाप के आँसू 
बहते आँसुओं से है , तुमने जान पाया क्या 
हमारी याद में जलकर,उसने खुद को राख कर डाला 
मुझको न पता था कुछ, इसमें दोष मेरा क्या 
हजारों की सज़ी महफ़िल में, मेरा कोई दुश्मन है 
न मैंने खोज पाया है, उसमें दोष उसका क्या 
मेरे दिल की चौखट पर, प्यार ने दस्तक दे डाली 
मैंने गेट न खोला, इसमें उससे बुराई क्या 


शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश

नई ओर

मैं सबके साथ धारा के प्रवाह में नहीं 
धारा से हटकर नई ओर बहता हूँ 

शिवम अन्तापुरिया

jio to jio

जिओ टू अन्य से अब बात करना बहुत मुश्किल है 
हमारा बात करता यंत्र अब ना इसके काबिल है 
फ्री में बात वालों से कहदो की संभल जाए 
अन्य से बात करने का लगा छः पैसे का बिल है
    ✍शिवम अन्तापुरिया

मुझसे जले जो

गीत 
       "मुझसे जले"

कोई दीपक बनकर मुझसे जले हम उज़ाले में उनके निखर जाएंगे

चाँद की चाँदनी अब शहर है मेरा 
हम उसी के उज़ाले में ढल जाएंगे 

कोई दीपक बनकर मुझसे जले हम उज़ाले में उनके निखर जाएंगे

गाँव और वो शहर की थी गलियां मेरी 
जिनपे चलते थे पग मेरे दौड़े-दौड़े

आजकल अब वो दिखती नहीं है वहाँ 
बिना उसके वहाँ हम न रह पायेंगे 

कोई दीपक बनकर मुझसे जले हम उज़ाले में उनके निखर जाएंगे

मान जाए जरा गर वो बात मेरी 
चाँद की चाँदनी से भी नहलाएंगे 

साथ दो तुम मेरा गर अभी भी कहीं 
जमीं पर तारे भी हम ले आएंगे 

कोई दीपक बनकर मुझसे जले हम उज़ाले में उनके निखर जाएंगे

है हवा भी मेरे साथ में अब नहीं 
 वरना तूफ़ानों से हमतो टकराएंगे 

कोई दीपक बनकर मुझसे जले हम उज़ाले में उनके निखर जाएंगे

- शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश

पतिव्रत

पति व्रत के त्यौहार पर 
खुशियाँ बड़ी अपार 
करवा चौथ के चाँद संग 
स्त्रियों का त्यौहार 

~ अन्जू
धनन्जय 
    उत्तर प्रदेश

करवा चौथ

आया है आया है पावन 
फ़िर से पति व्रत का त्यौहार 
चलो मनाए सब सुहागन मिल 
  करवा चौथ का त्यौहार 

~ शीकासुमित 
उत्तर प्रदेश

Tuesday, October 15, 2019

लाचार किसान

कवि ने बरसते पानी को देख जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है और किसानों की फ़सलें जो बर्बाद होती जा रही हैं इन सब स्थितयों को देखते हुए लाचार किसानों की पीड़ा सबके सामने लाने की कोशिश की है और पानी से रूकने की गुहार लगाई है।

    "लाचार किसान"

बरश रहा है देख रहा है
बादल धरती वालों को
है परेशान किसान देश
के कैसे बचाए अपने
   अनाजों  को...

  कभी तेज है कभी मन्द है
  करता अपने फ़ब्बारों को
रिमझिम-रिमझिम बूँदे बरशे
   सूरज को भी ढाँके है
कैसे बच पायेगी फ़सलें 
वो असहनीय पीड़ा देता
    किसानों को....
अपनी तड़-तड़ की आवाजों से

   जिस ओर नज़र जाती है
उनकी बादल घिरे ही दिखते हैं
जरा सी राहत के खातिर
  सूरज कहीं न दिखते हैं
पीढा़ उठती है मेरे दिल में
देख मजबूर-लाचार किसानों को...

हे! मेघराज़ अब रुक जाओ
पीड़ा समझो किसानों की
मेरा दिल भी व्यथित हुआ है
गलती गर हो गई हो उनसे
तो अब माफ़ कर दो किसानों को

  रचयिता -
शिवम अन्तापुरिया
    उत्तर प्रदेश

+91 9454434161

कर्मभूमि

चलना तुम्हे है दुनियां तुम्हें चलाने नहीं आयेगी जब तक तुम उभरकर समाज से ऊपर नहीं आते और अपनी अलग पहचान नहीं बनाते

मनुष्य को अपने बारे में,
दुनियां के बारे में सोचने से कही ज्यादा अधिक सोचना चाहिए

कर्मभूमि और जन्मभूमि
जब मेरी हिन्दी ही है
इसलिए हर जज़्बातो में
मेरी आगे आती ही हिन्दी है

शिवम अन्तापुरिया

दूध वाला

"दूध वाला"

खड़ा होता है दर दर पर
   होता है दूध वाला ।
सुबह-शाम पहुँचता है घर घर
रुकता हुआ भी डग-डग
होता है वो भी दूध वाला ।
कहीं लेने कहीं देने चलता
रहता है जो हर दिन
समझता है सभी का दर्द
होता है दूध वाले में मर्म
चिलचिलाती धूप में चलकर
कड़ाके की ठंड को सहकर
सभी को बाँटता फ़िरता ।
दूध अपना समझकर
सभी की बातें सुनकर
निकाल देता बस हँसकर
गरजते बादलों में चलकर
भिगा देता है खुद को
कपकपाते हाथों से जब
साधता है वो लीटर
छलकते देख लीटर को
रो उठा दिल मेरा
देख धरती पर बहते
दूध को
हिल गया दूध वाला ।

  कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
    उत्तर प्रदेश

बेचारा

"बेचारा"

मेरे हर ख्वाब को
उसने अपने दिल
में है पाला

करूँ क्या अब
इनायत मैं
अधूरा दिल
है बेचारा

सियासत के तूफ़ानों
में न देता कोई
है सहारा

चलो प्यार की राहें
देखें हम वो तड़पता
क्यों है बेचारा

कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया
   उत्तर प्रदेश