Monday, June 10, 2019

लेख

[3/14, 02:56] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: ये शौर्य वीर  का मस्तक है
ये शीश नहीं है झुकने वाला
तुम लाख कोशिशें कर डालो
ये देश नहीं डरने वाला

हम हिन्दुस्तानी चीते हैं
पंजा मार तुम्हें फाङ देंगे

अभी भी डरा नहीं अभिनंदन है
डर गए सब
पाकिस्तानी हैं
अभिनंदन जैसा दृढ़, साहस रखते सब हिन्दुस्तानी हैं

अब भी अगर तू
न समझ पाया है
तो तू सबसे बङा
    मूर्ख अज्ञानी है

लेखक/कवि
शिवम अन्तापुरिया
9454434161
[6/2, 21:18] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: "मिला सिला"

ये जाम और धूम्र दोनों हैं,
एक से निकलते छल्ले और
एक से निकलतीआवाज़े हैं,
हर शख्स है गुलाम सा प्रतीत होता इसका,
कोई की धुआँ धुआँ सी है जिंदगी,
कोई की ज़ाम में डूबी है ज़िन्दगी,
ऐ खुदा क्या हर्स होगा इसका, जब दोनों से मिलता ही है ज़िन्दगी को सिला
    ~•शिवम अन्तापुरिया
[6/5, 09:08] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: "वो पालता है"

कर्ज पर कर्ज लेकर
बाप जिस औलाद को पालता है
     वही पिता बनते ही
अपने पिता को दुतकारता है

कितनी दुश्वारियाँ सहकर वो
     उसे पालता है
लेकिन बुढापा के समय
वही बेटा बाप से मुहँ
   क्यों मोड़ता है

आज तक बाप से सीखने वाला
   कल तक अन्जाना था
वही आज़ लौटकर बाप को
    ज्ञान बाँटता  है

कुछ औलादे पैरों पर
  खड़े होते ही
अपने माँ-बाप अशब्द
    बोलते हैं
वक्त के बिगड़ते ही (गर्ज़) बाप
से रिश्ता जोड़ता है

कवि शिवम अन्तापुरिया
कानपुर
[6/5, 22:04] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: सारे जहाँ की खुशी है वहाँ
जिसके हिस्से में है उसकी माँ

-शिवम अन्तापुरिया
[6/5, 22:04] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: प्यार करने को मैं किसी को भी नहीं रोकूँगा ...
लेकिन ये याद रखना आपका प्यार कभी भी संस्कार की जगह नहीं ले सकता ।
शिवम अन्तापुरिया
[6/5, 22:04] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: साहब!
   इन मज़दूर हाथों को
अब इतना मज़बूर न करो
   कि खुद की जिंदगी से
हारने वाला मज़दूर बनना पड़े

   •~•   ',शिवम अन्तापुरिया,'
[6/5, 22:04] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: तू मुझसे दूर इतनी है
मैं तेरे पास रहता हूँ,
मैं भली और भाँति कहता हूँ,
मैं तेरे दिल में रहता हूँ,
शिवम अन्तापुरिया
[6/5, 22:04] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: क्या है दुश्मनी तेरी
ये मुझसे इस जहाँ में अब
तू मुझको मार सकती है
मैं तुझसे जीत सकता हूँ

हिमाकत की फ़िजाओ में
  मैं रहने लगा हूँ अब
अदाओ से भरी दुनियां से
मैं डरने लगा हूँ अब

शिवम अन्तापुरिया
[6/6, 08:42] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: जो लोग अपनी मन्ज़िल को पाने की राह में अपनी परिस्थिति और स्थतियो को लाकर आगे खड़ा कर लेते हैं उन्हें मंज़िल पाना मुश्किल होता है
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:09] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: आज फ़िर कोई है मुझको अपना मिला,
आशियाना मिला ये ज़माना मिला
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:10] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: वो तो बेकार है इस शहर के लिए,
वो तो ज़हर है इस शहर के लिए
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:12] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: [6/9, 23:17] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: कोई लाचार है
कोई बीमार है
मेरे पास सिर्फ़
मोहब्बत ही
इ लाज़ है
शिवम अन्तापुरिया
[6/9, 23:17] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: वो तो बेकार है इस शहर के लिए,
वो तो ज़हर है इस शहर के लिए
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:12] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: [6/9, 09:38] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: आसमाँ हम हुए
तुम सितारे हुए,
वादे लाखों जहाँ में वो करते गए,

शिवम अन्तापुरिया
[6/9, 09:38] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: वो व्यक्तितत्व की राह में प्रवाह होता रहा,
वो अकेला ही सौ बार रोता रहा
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: जुल्म वो नहीं होते साहब !
जिन्हें तुम जुल्म कहते हो
जुल्म वो होते हैं
जिन्हें तुम सिर झुकाकर
सहते हो।
संवेदना
*ट्विन्कल* के लिए
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: *नज़्म पेश करता हूँ*

है इन्शान दुनियां में न कोई अब
वो तड़पती रही,चीखती भी रही
हवश का शिकार भी होती रही
न सुरक्षित दिखे़ं
    दुधमुहीं बेटियाँ भी अब

लोग कहते हैं,कपड़े इनके छोटे हुए
तब से दुष्कर्म इनपर हैं होने लगे
पूछता हूँ दरबारों से अब,
    *एक सवाल मैं*
कैसे मासूम (ट्विंकल) को
     साड़ी पहना दूँ अब

- शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: #मासूम_टविन्कल
को #नमन

आज फ़िर कोई हवशी है कातिल बना
काम मौलाना है, फ़िर भी जाहिल बना
   जान है फ़िर गई एक मासूम की
साथ  इज़्ज़त का भी है ज़नाज़ा उठा
हाथ भी काटे हैं, पैरों को भी काटा
सारी हद पार की, आँखो को भी नोचा
बर्बरता यही पर भी न है रुकी
सारे शरीर को भी खोखला है किया

शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: हर कदम पर कदम
   बढ़ते जाएँगे
हम ऐसी इबादत
  लिखते जाएँगे

  शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: कवि होने के नाते
सोते समय जब पी लेता हूँ
     पानी
तो बस जी लेता हूँ
एक कहानी
-शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: आप मुझे कितना सह लोगे
मेरे कहे लब्ज़ कितने रख लोगे
शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: पावन पर्व सा होता रिश्ता
जब दो दिल मिल जाते हैं
पूर्व संस्कारों से बंधकर
ये जोड़े जमीं पर आते हैं

    ये कर्तव्य तुम्हारा होता है
सप्रेम से रिश्तों का निर्वहन करो
ये जीवन की डोर है जीवनसाथी
अब फ़र्ज यही है
इसकी तुम प्रेम
   डोर मज़बूत करो

-©शिवम अन्तापुरिया
[6/10, 22:13] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: *यादें चाय की*
वो बचपन की चाय
   तोतली भाषा में
   माँगता वो चाय

बचपन की यादों से
अजपन की यादों तक
दिल भरता है आहें
याद करके वो चाय

  सुबह की चाय
वो शामों की चाय
यहाँ तक की वो
कॉलेज के दोस्तों
(पियूष, राघवेंद्र,धर्मेन्द)
के साथ बीते कवि के
पलों को तरोताजा
   करती है वो चाय

     गम में बैठकर
    गम को भुलाने
में भी अहम भूमिका
  निभाती है वो चाय

इंतजार करना
चाय का घर में
इश्क जैसी रश्म
पूरी करती है वो चाय

शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
[6/10, 22:14] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: नीद आती कहाँ है
मुझे आजकल
ये थकाने सुलाती हैं
मुझे आजकल

राज़नेताओ के
दम में दम है भरा
उन्हें दिखती नहीं है
बेवशी मेरी आजकल -2
[6/10, 22:14] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: कर्ज पर कर्ज लेकर
बाप जिस औलाद को पालता है
     वही पिता बनते ही
अपने पिता को फ़टकारता है
[6/10, 22:14] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: *राह चुनता हूँ*

दीवानो दिल की महफ़िल में
    सदा दीवाना होता हूँ
     ये मेरा प्रश्न है उससे
    मैं तुझसे दूर रहता हूँ ,

जब खुशियाँ हिज्म ऐ हिस्से
    में मेरे आतीं हैं मौला
मैं उनमें डूब करके भी
अकेला रह न पाता हूँ,

  हमारा प्यार है अंधा
मगर आँखों से चलता हूँ
बनाई हुई तेरी मंजिल में
अपनी राह चुनता हूँ

कवि शिवम अन्तापुरिया
कानपुर  उत्तर प्रदेश
[6/10, 22:14] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: फ़र्क ही फ़र्क है इसमें
मगर समझ आता नहीं है कुछ
  धुआँ धुआँ सी है जिंदगी
     दिखता नहीं है कुछ

    ©® शिवम अन्तापुरिया

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