बरसात के दिनों में
सौंधी सौंधी सुगंध आ रही है हवाओं से
ये दिल कह रहा है देखकर निगाहों से
- ©®शिवम अन्तापुरिया
[6/22, 22:54] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: पूछते हैं जहाँ में लोग मॢुझसे *शिवम*
तूने अब तक कमाया क्या है ?
मैं कहता हूँ
साहब
ये पूछो साहित्य में मैने अब तक गवाया क्या है??
अन्तापुरिया
[6/22, 22:54] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: सूर्य उगा चला गया
चंद्र निकला चला गया
कवि शब्द ऐसा जन्मा
जो चंद्र रवि से भी आगे
चला गया
//कवि शिवम अन्तापुरिया //
[6/22, 22:54] @शिवम अन्तापुरिया लेखक: मैं लेख लिखता हूँ
अफ़वाह नहीं
ठोस लिखता हूँ फ़ुल्ल्ड नहीं
...शिवम अन्तापुरिया
मेरी चाहत के तौहीन चेहरे,
आजकल रह रहे हैं अकेले..
शिवम अन्तापुरिया
जब तुम्हें दुनियां सताती हो तो
जीभ का अनुशरण करके
जीना सीखो |
किस तरह वो दाँतो का प्रहार सहकर जीवन बिताती है ||
//शिवम अन्तापुरिया //
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